हापुड़। टीबी का मर्ज अब मरीजों के रीढ़ की हड्डी को गला रहा है, हड्डी के सबसे निचले भाग पर इसका अधिक असर है। अस्पतालों में ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिनके कमर के नीचे का हिस्सा काम तक नहीं कर रहा। व्हील चेयर से आने वाले इन मरीजों में एक्सरे के बाद पुष्टि हो रही है। वहीं, फेफड़ों की टीबी के हर रोज पांच से सात मरीज पहुंच रहे हैं। दवाओं का कोर्स पूरा न करने वालों की जान खतरे में पड़ रही है।
वर्ष 2025 तक जिले को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जैस- जैसे स्क्रीनिंग बढ़ रही है, टीबी के मरीजों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। आलम यह है कि इन दिनों फेफड़ों की टीबी के अलावा गुर्दों, हड्डी, दिमाग में भी टीबी मिल रही है। अनदेखी करने वालों को टीबी अब चलने फिरने में भी असमर्थ कर रहा है।
गढ़ रोड सीएचसी के चिकित्सक डॉ. अशरफ अली ने बताया कि हाल ही में कई मरीज ऐसे आए हैं, जिनके रीढ़ की हड्डी टीबी से गल चुकी है। हड्डी के निचले हिस्से को टीबी अधिक प्रभावित कर रहा है, इसके चलते मरीजों के कमर के नीचे का भाग निष्क्रय होने लगा है। सुन्न होने के कारण शरीर में सुई आदि चुभाने पर भी कोई असर नहीं पड़ रहा।
शनिवार को भी ऐसे मरीज व्हीलचेयर से अस्पताल पहुंचे, जिनका एक्सरे कराया तो हड्डी में गलन की रिपोर्ट मिली। इन मरीजों का उपचार शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा फेफड़ों के टीबी वाले मरीजों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है।
ऐसे बचें टीबी से
रोग प्रतिरोधक क्षमता को अच्छा रखें। न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन युक्त चीजें खाएं। जैसे-सोयाबीन, दालें, अंडा और पनीर आदि। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता से टीबी के बैक्टीरिया के सक्रिय होने की आशंका रहती है। टीबी का बैक्टीरिया शरीर में होता है, लेकिन अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता से वह सक्रिय नहीं हो पाता है और टीबी नहीं होती है। ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर न रहें और वहां जाने से परहेज करें।
यह है टीबी
टीबी गंभीर, संक्रामक और बैक्टीरिया जनित बीमारी है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। टीबी दो प्रकार की होती है। फेफड़ों वाली को पल्मोनरी और जब टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के किसी अन्य अंग में होती है तो इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। जानलेवा भी हो सकती है। डॉट्स सेंटरों पर इसकी दवा मुफ्त मिलती है।
टीबी के लक्षण
- दो सप्ताह या इससे अधिक समय तक खांसी आना
- खांसी के साथ बलगम आना
- बलगम में कभी कभी खून आना
- सीने में दर्द होना
- शाम को हल्का बुखार आना
- वजन कम होना और भूख न लगना