राजनीति में आना है तो आपकी कुंडली में ये ग्रह होने ही चाहिए

राजनीति में आने के लिए बहुत से लोग दिन-रात समाज में जुटे रहते हैं। समाज सेवा के जरिए वे राजनीति में अपना कोई मुकाम पाना चाहते हैं। लेकिन समाज सेवा करने वाला हर व्‍यक्‍ति राजनेता नहीं बनता। यानी उसके राजनीति में सफलता नहीं मिल पाती। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर राजनीति में सफलता के लिए क्‍या चाहिए। पं.दिनेश भारद्वाज के अनुसार कुंडली में राजनीतिक सफलता का योग होना अनिवार्य है। इसके लिए कुंडली में ग्रहों की अनुकूलता और योग को देखा जाता है। सफल राजनेताओं की कुण्डली में राहु का संबध छठे, सातवें, दशवें व ग्यारहवें घर से देखा जाता है। ज्‍योतिष में कुण्डली के दशवें घर को राजनीति का घर माना गया है। सत्ता में भाग लेने को दशमेश या दशम भाव में उच्च का ग्रह बैठा होना चाहिए और गुरु नवम में शुभ प्रभाव में स्थिति होने चाहिए। दशम घर या दशमेश का संबध सप्तम घर से होने पर व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। कुंडली में छठे घर को सेवा का घर कहते हैं। व्यक्ति में सेवा भाव होने के लिये इस घर से दशमेश का संबध होना चाहिए। राहु को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसका प्रभाव राजनीति के घर से होना चाहिए। सूर्य को भी राज्य कारक ग्रह की उपाधि दी गई है।

सूर्य का दशम घर में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो व राहु का छठे घर, दसवें घर व ग्यारहवें घर से संबध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है। इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है। शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबध बनाये और इसी 10 वें घर में मंगल भी स्थिति हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिये काम करने के लिये राजनीति में आता है। अधिकांश राजनीतिज्ञ अच्‍छे वक्‍ता होते हैं और जनता को अपनी बातों से प्रभावित करते हैं।

(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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