यज्ञ करना संसार का सबसे श्रेष्ठ कर्म है-आचार्य वीरेंद्र
हापुड़। वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए रोग शोक से सारे विश्व के बचाने का सरल उपाय यज्ञ है यज्ञ करने से वायु शुद्ध होकर सुख का साधन बनता है। मंत्र पाठ करने से परमात्मा की स्तुति ,प्रार्थना व उपासना होती है । ये दोनों ही कार्य यज्ञ से सिद्ध हो जाते हैं उक्त विचार सहारनपुर से पधारे आचार्य वीरेंद्र आर्य जी ने आर्य समाज पिलखुवा के 45 वे वार्षिकोत्सव के अवसर पर यज्ञ कराते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम में आए बिजनौर से आर्य भजनोपदेषक पंडित योगेश दत्त आर्य जीने ने भजनों के माध्यम से यज्ञ एवं भगवान की महिमा का वर्णन किया इस अवसर पर अनेकों साधु महात्माओं एवं आर्य सज्जनों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई यज्ञ में मुख्य यजमान के रूप में वरिष्ठ कवि एवं समाजसेवी अशोक गोयल ,समाजसेवी व वरिष्ठ कवयित्री बीना गोयल, सतीश वर्धन, रवि कुमार ,डी. एस .शर्मा अशोक आर्य , सुभाष आर्य ,विजय आर्य ,रविंद्र उत्साही ,पंडित गौरव शास्त्री के अतिरिक्त नगर से अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।