ज्योतिष में मंगल और शनि को विशेष ग्रह माना गया है। कहा जाता है कि यदि इन दोनों ग्रह की स्थिति कुंडली में ठीक ना हो तो व्यक्ति परेशान रहता है। उसे तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कुंडली में मंगल और शनि की युति के फल भी अलग-अलग होते हैं। यह युति व्यक्ति के स्वभाव से लेकर उसके व्यक्तित को प्रभावित करती है। ज्योतिषविद पं.शिवकुमार शर्मा से जानिए मंगल और शनि की युति किस तरह जीवन को प्रभावित करती है।
- यदि प्रथम भाव में शनि और मंगल एकसाथ हों तो व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है। वह बहुत गुस्से वाला होता है। हमेशा लड़ाई-झगड़े के योग बन रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में आग और चोट लगने की आशंका रहती है।
- दूसरे स्थान में शनि-मंगल विराजमान हैं तो गले की समस्याएं परेशान करेंगी। परिवार में तनाव की स्थितियां रहती हैं। धन की समस्या रहती है। ऐसे युति वाले जातक कड़वी और कठोर वाणी के होते हैं। आंखों की समस्या भी रहती है।
- तीसरे भाव में शनि-मंगल होने पर छोटे भाई का सुख नहीं मिलता। हालांकि ग्रह का यह योग जातक को पराक्रमी बनाता है। गले और कंधे से जुड़ी समस्याएं बनी रहती हैं।
- चौथे स्थान पर शनि-मंगल की युति होने पर आग से खतरा रहता है। ऐसे जातक अपने जन्म स्थान पर नहीं रह पाते। माता के स्वास्थ्य की भी समस्या बनी रहती है।
- पंचम भाव में शनि-मंगल की युति से संतान को कष्ट होते हैं। ऐसे जातकों को पेट से जुड़ी बीमारियां बनी रहती हैं। ऐसे लोगों को मित्र धोखा देने वाले होते हैं।
- छठे भाव में शनि-मंगल की युति झगड़े का कारण बनती है। ऐसे जातकों के अपने मामा से रिश्ते अच्छे नहीं रहते। दोनों ग्रहों की यह युति कोर्ट केस की स्थितियां भी पैदा करती है।
- अष्टम स्थान में शनि-मंगल की युति अचानक धनहानि का संकेत देती है। रक्त से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।
- नवम भाव में मंगल-शनि भाग्य में रुकावट पैदा करता है। मेहनत के अनुसार भाग्य का साथ नहीं मिलता। संघर्ष से सफलता के योग बनते हैं।
- दशम भाव में मंगल-शनि की युति जातक में कॅरियर को लेकर भ्रमित पैदा करती है। वह अपना कॅरियर नहीं चुन पाता। उसके कॅरियर में स्थिरता नहीं रहती।
- 11 वें स्थान में मंगल-शनि लाभ में कमी के योग बनाते हैं। ऐसे लोगों के बड़े भाई से सम्बन्ध अच्छे नहीं रह पाते। संतान सुख में देरी होती है।
- 12 वें स्थान पर शनि-मंगल की युति व्यर्थ के खर्चे कराती है। ऐसे लोगों के साथ लड़ाई झगड़े के योग बन रहते हैं। पैरों की समस्याएं बनी रहती हैं।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)