व्यक्ति के जीवन में राशियों का विशेष महत्व होता है। कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव को केंद्र भाव माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में पहले भाव को स्वयं के तन का, चौथे भाव को सुख का, सप्तम भाव को वैवाहिक जीवन, दसवें भाव को कर्मभाव माना गया है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, अगर केंद्र में उच्च के पाप ग्रह हो तो व्यक्ति बहुत धनवान होने पर गरीब हो सकता है। अगर कुंडली के केंद्र में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली को शुभ नहीं माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति हमेशा कर्ज में डूबा रहता है।
जानिए अगर कुंडली के केंद्र भाव में यह ग्रह रहते हैं तो क्या मिलता है शुभ फल-
1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल जातक की कुंडली के केंद्र में भाव हो तो वह सेना में काम करता है। वहीं सूर्य के केंद्र में होने से व्यक्ति राजा का सेवक औऱ चंद्रमा केंद्र में हो तो व्यापारी बनता है।
2. बुध जातक की कुंडली के केंद्र भाव में हो तो अध्यापक और गुरु के केंद्र में होने से व्यक्ति ज्ञानी होता है।
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3. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र के केंद्र में होने से व्यक्ति धनवान और ज्ञानवान होता है।
4. कहते हैं कि शनि के कुंडली के केंद्र भाव में होने से जातक बुरे लोगों की सेवा करने वाला होता है।
5. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली के केंद्र में उच्च का सूर्य और केंद्र के चौथे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति सुख-सुविधाओं से संपन्न रहता है।
6. कुंडली के केंद्र भाव में कोई ग्रह न होना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा होने से व्यक्ति कर्ज से परेशान रहता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)