काव्यदीप साहित्यिक संस्था ने आयोजित की काव्य गोष्ठी , कवियों ने जमकर बटोरी तालियां

काव्यदीप साहित्यिक संस्था ने आयोजित की काव्य गोष्ठी , कवियों ने जमकर बटोरी तालियां

हापुड़। मेरठ रोड स्थित मधुबन कॉलोनी में रविवार को काव्यदीप साहित्यिक संस्था की मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़कर खूब तालियां बटोरी।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अशोक मैत्रेय ने पढ़ा कि धीरे-धीरे मिट रही धरती की पहचान, पत्थर के जंगल उगे जहां कभी था धान।

राम आसरे गोयल ने पढ़ा कि मां चंदा सी शीतल है, मां ही वृक्ष की छाया है, मां सुख दुख की साथी, मां ही हमसाया है।

उमेश उत्पल ने पढ़ा कि अच्छे नहीं है इन दिनों हालात चमन के, आसार नहीं लग रहे अभी अमन के।

मुशर्रफ चौधरी ने पढ़ा कि हाथ मेरे हैं – व पत्थर मेरे, सर है किस वास्ते हमदम मेरे।

डॉ. पूनम ग्रोवर ने पढ़ा कि सौंदर्य आंखों की छुअन नही एक भाव भीगा एहसास है, ऊंचे बड़े बोलों में नहीं, विनम्रता में ही तो मिठास है। अवनीत समर्थ ने पढ़ा कि लगे हैं फोन में सारे नहीं खाली कोई बच्चा, न जाने आसमां के अब
सितारे कोई गिनता।

महेश वर्मा ने पढ़ा कि हर घर की मर्यादा बेटी, प्यारा सा एक वादा बेटी, रिश्ते सारे बेशकीमत उनसे थोड़ा ज्यादा बेटी।

आशुतोष आजाद ने पढ़ा कि अफसर रिश्वत खा रहे खाते बाबू लोग, नेता खाये

फर्रुखाबादी ने पढ़ा कि जगत व्यथा से भरा हुआ है साल रही है पीर पराई, इंद्र धनुष के रंग है फीके गई पवन से शीतलदायी।

इसके अलावा प्रभात कुमार, संजय प्रकाश कंसल, ऐंद्री द्विवेदी, प्रदीप कुमार, शिवप्रकाश शर्मा, रचना मौर्या ने भी अपनी रचनाएं पढ़कर खूब तालियां बटोरी। गरिमा को शायरा मुशर्रफ़ चौधरी ने सम्मानित किया।
इस मौके पर कवि राम आसरे गोयल, डॉ अशोक मैत्रेय,उमेश,महावीर वर्मा,प्रभात, डॉ पूनम ग्रोवर,आशुतोष, मुशर्रफ़ जी,कमलेश फर्रुखाबादी,अवनीत,प्रदीप कुमार,रचना मौर्य, शिव प्रकाश शर्मा आदि मौजूद थे।

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