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रामलीला में सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य व अंगद जी को युवराज पद दिया


हापुड़(अमित मुन्ना)।
हापुड़ के रामलीला मैदान में चल रही श्री राम लीला में श्री आदर्श रामलीला मंडल रजि. वृन्दावन मथुरा के निर्देशक पवन देव चतुर्वेदी (व्यास) ने बताया कि जब सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य व अंगद जी को युवराज पद दिया जाता है तो चार माह प्रभु सुग्रीव से राज्य सुख भोगने को कहते है और प्रभु श्री राम छोटे भाई के सहित प्रवर्ष गिरी के पर्वतो पर निवास करते है किन्तु चार माह बीत जाने पर भी सुग्रीव को प्रभु के कार्य की सुधि नही रहती तो राम जी की आज्ञा पाकर लक्ष्मण जी सुग्रीव को लेने के लिऐ क्रोध से भरकर किष्किन्धा पहुंचते है बहा पहले ही हनुमान जी व अंगद जी के द्वारा राजा को समझा दिया जाता है व लक्ष्मण जी के सहित करोडो बन्दर व भालूओ की बिशाल सेना के सहित जानकी जी की खोज को चारो ओर सेना निकल जाती है दक्षिण तुकडी की सेना का नेतृत्व अंगद जी व जाम्बन्त जी के हाथो मे होता है समुद्र तट पर पहुच जटायु के छोटे भाई के द्वारा बताया जाता है कि जानकी जी अशोक बृक्ष के नीचे बैठी रो रही है उसे सुन सब बानर अपने सामर्थ को बताते है अन्त में जाम्बन्त के बचनो को सुन हनुमान जी महाराज समस्त कठिनाईयों पर बिजय पाकर लंका में प्रवेश करते है और जानकी जी को खोजते है बहां लंका में हनुमान जी की भेट रावण के छोटे भाई बिभीषण से होती है और बिभीषण द्वारा जानकी जी का पता जान हनुमान जी अशोक बाटिका में पहुचते है और रात्रि होने की प्रतिक्षा करते है तभी लंका नरेश रावण मंदोदरी आदि रानीयों के सहित सेना लेकर जानकी जी के पास आ उनको डराना चाहता है और एक माह की अबधि दे बापस लौट जाता है इधर रात्रि में हनुमान जी जानकी जी को मुद्रिका दे प्रभु का संदेश सुना धीरज बधाते है और अशोक बाटिका को उजाड रावण के पुत्र अक्ष कुमार का बध कर देते है इधर रावण मेघनाद के द्वारा हनुमान जी को नागफांस में बधबाकर सभा मे बुलाता है हनुमान जी बहुत समझाते है रावण एक नही सुनता और हनुमान जी की पूंछ में आग लगबा देता है तभी हनुमान जी उसकी लंका को जलाकर जानकी जी से आशीर्वाद ले प्रभु को जाकर माता जानकी का संदेश सुना प्रभु को सुख प्रदान करने की लीला का मंचन हुआ।

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