हिंदी प्रोत्साहन समिति ने आयोजित किया कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह,शिक्षा में योगदान के लिए शिक्षिकाओं को किया सम्मानित
हापुड। हिंदी प्रोत्साहन समिति के तत्वावधान में यहां रेलवे रोड स्थित रॉयल पैलेस में एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
अध्यक्षता एवं मंच संचालन गरिमा आर्य ने किया।
सचिव डा मंजीत सिंह अवतार ने समिति की आगामी वर्ष की रूपरेखा प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि ज्योतिषाचार्य के सी पांडेय, विशिष्ट अतिथि समिति के प्रदेश अध्यक्ष डा अनिल बाजपेई , प्रदेश सचिव डा आराधना बाजपेई, डा करून शर्मा,वीरेंद्र गुप्ता ने दीप प्रज्वलन करके कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। प्रधानाध्यापक डा. सुमन अग्रवाल को शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए एवं योग शिक्षिका”क्षमा शर्मा एवं शिवानी शर्मा को सम्मानित किया गया। मां शारदे की वंदना के पश्चात कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।
इस अवसर पर शशि पाण्डेय ने पढ़ा..
तुम मेरे नेक कर्मों का परिणाम हो
जिंदगी जो बची बस तेरे नाम हो
खो रही थी मैं जाने कहां से कहां
साथ तेरे ही सुबह ओ मेरी शाम हो।
डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा,”बनकर स्नेह की घटा जिंदगी में ,तुम कुछ इस तरह से छा जाओ!
अभी सावन नही गया है, बादल बनके आ जाओ।”
गरिमा आर्य ने पढ़ा-
ऐ कागज़ ये तेरी सहनशीलता है,
तू बस लिखे को ही गुनता रहा है,
ना तू कुछ कहे है ना ही थका है,
तेरा ज़र्रा ज़र्रा बस सुनता रहा है।
डा आराधना बाजपेई ने पढ़ा,” कालों का काल है जो,है काल से परे है, उस महाकाल में शिव साकार हो रहा है।
डा मंजीत सिंह अवतार ने पढ़ा,”
,”शौर्य साहस वीरता से सैनिक जहां लड़े
कश्मीर वाली घाटी को प्रणाम है,
शेखर भगत जैसे वीर लाल पैदा हुए
भारत सी वीर पुण्य माटी को प्रणाम।।
पूजा भारद्वाज सुमन ने पढ़ा भारत माता की वंदना से काव्य पाठ करके श्रोताओं में जोश भरा।
डा श्वेता त्यागी ने पढ़ा-
आजकल मोहब्बत की सब कहानियां गुम हैं
दिल को जो भी रास आए वो निशानियां गुम हैं ।
दूसरों की हमदर्दी खाक काम आएगी
आजकल तो अपनों की मेहरबानियां गुम हैं
कवयित्री वैभवी ने पढ़ा-
‘कभी नफरतों को भूला कर तो देखो
महब्बत की दुनिया बसा कर तो देखो
यही तो इबादत यही नाम रब का
कभी बेकसों को हंसा कर तो देखो।
निधि भार्गव मानवी ने पढ़ा
क़दम दर क़दम अब संभलना है मुझको
हवाओं से आगे निकलना है मुझको।
डाॅ० नितिन गुप्ता ने पढ़ा-
हमने क़िस्मत को भी एक बार बदल कर देखा,
‘शै’ वही रख्खी खरीदार बदल कर देखा |
और गुरूर टूट गया उनको अपनी शोहरत का,
मुद्दतों बाद जो अखबार बदल कर देखा |। सोनम यादव ने पढ़ा,”
मैं अधरों से तृष्णा चुराने चली हूं,
मैं शबनम से सरिता बहाने चली हूं। गार्गी कौशिक ने पढ़ा –
मुकाम अपना बनाना चाहती हूं,
गगन के पार जाना चाहती हूं । डा ० तारा गुप्ता ने पढ़ा
“हद में रहते हो तुम्हे मैं जानती हूं
तुम समुंदर हो मैं यह भी मानती हूं
गहन हो , गंभीर हो , गहराई भी है
रौद्र रस हो तुम , मगर मैं शानती हूं” कल्पना कौशिक ने पढ़ा!
“स्वयं रचती हूं सदा मैं मार्ग अपने शोध से
मैं उफनती सी नदी डरती नहीं अवरोध से।
डा अवधेश तिवारी ने ओज पूर्ण काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
विकास विजय त्यागी ने पढ़ा,”
हम ना होगे कल यहां निशानियाँ होगी
इतिहास के पन्नों पर कहानियाँ होगी।
अवनीत समर्थ ने पढ़ा,”बुझा दो सब चरागो को तुम्हारा नूर काफी है,
यहाँ तुम हो यही हम हैं मेरे हुजूर काफी है ।
शशि गोयल ने बेटी रचना से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
राजीव सिंघल ने अपनी कविता “कृष्ण राधा का वर्णन करके माहोल भक्तिमय कर दिया।
सभी कवियों को हिंदी गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया,विभिन्न क्षेत्र में योगदान के लिए, डा करून शर्मा,अंकुर बाना रजनी तोमर,डा तुषार गोयल को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर शहर के कई गण मान्य लोग उपस्थित थे।