शगुन देने तक ही सिमटी कलाई की घड़ी, मोबाइल फोन ने किया घडिय़ों का चलन कम

शगुन देने तक ही सिमटी कलाई की घड़ी, मोबाइल फोन ने किया घडिय़ों का चलन कम
-सस्ते मोबाइल बाजार में आने से आया बदलाव
-बसों में बोली लगाकर बेची जा रही घडिय़ां
-बाजार में स्टाईलिस घडिय़ां आने से एक बार फिर से घडिय़ों का चलन बढऩे लगा
हापुड़।
हाईटेक युग,चमक दमक व भागदौड़ भरी जिन्दगी में अगर आप किसी से समय पूछेंगे तो शायद ही कोई अपनी कलाई घड़ी को देखकर समय बताएगा। इस युग में अब समय बताने व देखने के लिए कलाई पर नहीं हाथ सीधे जेब में जाता है। हाईटेक युग में सूचना क्रान्ति के बाद मोबाइल फोन बाजार गरम हो जाने के बाद से कलाई घड़ी की मांग कम हो जाने से इनके दाम गिर गये है। अब कलाई घड़ी केवल विवाह समारोह में शगुन देने तक ही सीमित रह गयी है।
दो दशक पूर्व अधिकांश लोगों की कलाई पर घड़ी दिखाई देती थी। लेकिन हाई टेक युग में कलाई घड़ी का स्थान अब मोबाइल फोन ने ले लिया है। मोबाइल फोन के प्रचलन से कलाई घड़ी की मांग काफी कम हो गयी है। जिससे इनके दामों में भारी कमी आई है। और इससे वाच बाजार को काफी बड़ा झटका लगा है। वही पूर्व में बच्चों को कक्षाओं में पास होने पर उनके अभिभावक कलाई घड़ी उपहार में देते थे। लेकिन अब कलाई घड़ी केवल विवाह समारोह में शगुन देने तक ही सिमट कर रह गयी है।
इस हाई टेक युग में बदलाव के कारण कलाई घड़ी की दुकान या व्यापार करने वालों को भी अपना काम बदलने के लिए मजबूर कर दिया है।
जैनन वॉच हाउस के स्वामी ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व उनकी दुकान ठीक प्रकार से चल रही थी। लेकिन मोबाइल के प्रचलन से घड़ी खरीदने के लिए कम लोग ही आते है।
उन्होंने बताया कि इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने घड़ी की दुकान बंद कर मोबाइल की दुकान खोल ली। जिससे उनकी दुकान काफी अच्छी चल रही है। हाईटेक युग में मोबाइल फोन सस्ते होने के कारण भी लोग कलाई घड़ी के स्थान पर मोबाइल फोन को खरीदना पसंद करते है।
वही दूसरी ओर घडिय़ों की बिक्री कम होते देख सस्ती घडिय़ा बाजार में उतारी है। लेकिन मोबाइल के कारण इन घडिय़ों की बिक्री में भी उछाल नहीं आया है। घडिय़ों की मार्केट इतनी कम हो चुकी है। इन्हें दस से बीस रूपये में बोली लगाकर प्राइवेट बसों में बेचा जा रही है। अगर घड़ी बिक्री का यही दौर चलता रहेगा। तो वह दिन दूर नहीं कि घडिय़ों को मनुष्य अपने पास रखना तक बंद कर देगा।
गौरतलब है,कि बाजार में विभिन्न कंपनियों की स्टाइलिस घडिय़ां बाजार में आने से एक बार फिर से घडिय़ों का चलन धीरे-धीरे बढऩे लगा है। स्टाइलिस घडिय़ां युवाओं की पसंद बनती जा रही है।