विघालय की भूमि बेचने का आरोप लगाते हुए कार्यवाहक प्रधानाचार्या ने पूर्व प्रबंधक कमेटी पदाधिकारियों पर दर्ज करवाई एफआईआर
हापुड़।
कोतवाली क्षेत्र के एक विद्यालय की प्रधानाचार्या ने एसपी को पत्र देकर एक व्यक्ति पर खुद को विद्यालय का प्रबंधक बताकर करोड़ों रुपये की भूमि बेचने का आरोप लगाया है। एसपी के आदेश पर व्यक्ति के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
एसपी को दिए पत्र में बताया गया है कि प्रार्थनी बिहारी आश्रम बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गढ़ रोड हापुड़ जो राज्य
सरकार द्वारा अनुदानित अशासकीय सहायता प्राप्त की कार्यवाहक प्रधानाचार्या है। विद्यालय में करीब 325 छात्रायें है और विद्यालय में कुल 11 स्टाफ जिसमें 8 अध्यापक, 1 लिपिक, 2 सहायक कार्यरत हैं। जिन्हें सरकार से वेतन मिलता है। इस विद्यालय की स्थापना गोविन्दसहाय निवासी कस्बा सिकन्द्राबाद जिला बुलन्दशहर द्वारा निसन्तान होने पर बिहारी आश्रम ट्रस्ट के रुप में की और अपनी मृत्यु के पश्चात 7 सदस्यीय प्रबन्धक कमेटी गठित की। ट्रस्ट की डीड में स्पष्ट अंकित है कि प्रबंध समिति को ट्रस्ट सम्पत्ति के विक्रय का अधिकार नही होगा । 17 जून से 2013 से 15 दिसंबर 2020 तक प्रबन्धक राधेश्याम गोयल निवासी विवेक बिहार दिल्ली की कमेटी कार्यरत रहेगी। 16 दिसंबर 2020 को तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक निशा अस्थाना ने द्वारा इस कमेटी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया । तबसे इस विद्यालय की कोई प्रबन्ध समिति गठित नहीं है और विद्यालय का संचालन डीआईओएस के आदेश से संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रथम मडल मेरठ द्वारा संचालन की नियुक्ति करने की
अवधि तक विद्यालय में एक्ल संचालन की व्यवस्था लागू का आदेश पारित किया गया है। 25 फरवरी 2011 में अजय गोयल पुत्र ओमप्रकाश गुप्ता निवासी हापुड़ बिहारी आश्रम बालिका विद्यालय ने फर्जीवाडा कर खुद को नवगठित प्रबंध समिति का फर्जी चुनाव दर्शाकर कमेटी का प्रबंधक घोषित कर लिया। जिसमें
जिला विद्यालय निरीक्षक गाजियाबाद को स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया । जिसे तत्कालीन डीआईओएस गाजियाबाद द्वारा फर्जी व अपूर्ण पाते हुये निरस्त कर दिया गया । अजय गोयल ने डीआईओएस हापुड़ के फर्जी व कूटरचित दस्तावेज जारी
करते हुये खुद को फिर से प्रबन्धक ट्रस्टी घोषित कर लिया और पूर्व प्रबन्ध कमेटी को भंग घोषित किया। मामला प्रकाश में आने पर तत्कालीन डीआईओएस हापुड़ ने प्रबन्धक राधेश्याम गोयल को सूचित किया कि उक्त कागजात फर्जी एक जाली है उनका
रिकार्ड उनके कार्यालय में नहीं है और प्रबन्धक को अजय गोयल के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने के आदेश पारित किया । लेकिन अजय गोयल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। अजय गोयल व मनोज गोयल ने अपने पिता के साथ खुद को
विद्यालय व ट्रस्ट का ट्रस्टी दिखाते हुये सिविल न्यायालय से कालिज की मरम्मत के लिए धन प्राप्त हेतू कुछ सम्पत्ति बेचने की अनुमति प्राप्त की थी किन्तु उस गंगा अनुमति के विपरीत जाकर पहले कम दाम में अपने एक रिश्तेदार को संपत्ति बेची और उसी संपत्ति को रिश्तेदार न ऊंचे दाम पर बेचकर निजी लाभ कमाया । इसी तरह आरोपी ने फर्जीवाडा कर बिहारी आश्रम विद्यालय प्रबन्ध समिति के प्रवन्धक ट्रस्टी बनकर गैर कानूनी रुप से विद्यालय की सम्पत्ति बेईमानी से बेचकर रुपया हड़पा है । मामले की जांच कर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
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