fbpx
ATMS College of Education
Astrology

इस दिन से नकारात्मक शक्तियों में आती है कमी, सूर्यदेव की करें उपासना 

सूर्यदेव जब कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मीन संक्रांति कहा जाता है। मीन संक्रांति हिन्दू धर्म में पवित्र त्योहारों में से एक है। मीन संक्रांति को साल के आखिरी माह की संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में मीन संक्रांति को मीन संक्रमण नाम से जाना जाता है। मीन संक्रांति का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन से दिन बढ़े और रातें छोटी होना आरंभ हो जाती हैं। मीन संक्रांति से सूर्यदेव की गति उत्तरायण की ओर बढ़ रही होती है। ऐसे में रातें छोटी होने के कारण नकारात्मक शक्तियों में भी कमी आती है और दिन में ऊर्जा प्राप्त होती है।

मीन संक्राति सूर्य उपासना का पर्व है। इस दिन को दिव्य आशीर्वाद ग्रहण करने का दिन भी माना जाता है। मीन संक्रांति के दिन से मलमास का आरंभ होता है। इसलिए मलमास की अवधि में मांगलिक कार्य जैसे नामकरण, विद्या आरंभ, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने गए हैं। यह वर्ष का अंतिम माह होता है लेकिन इस काल में भक्ति, साधना का क्रम जारी रहता है। इस दिन अपने आराध्य देव की उपासना करें। सूर्यदेव को अर्घ्य दें। तिल, वस्त्र और अनाज का दान करें। गाय को हरा चारा खिलाएं। संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को दान अवश्य दें। इस दिन गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भूमि दान करने से जीवन में खुशहाली और संपन्नता आती है। सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन सूर्यदेव से अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। इस दिन मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करें। घर पर धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान आदि से भगवान का पूजन करें। इस दिन किए गए दान और पुण्य कर्मों का शुभ फल प्राप्त होता है। 

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
 

Source link

Menmoms Sajal Telecom JMS Group of Institutions
Show More

3 Comments

  1. Pingback: dark168

Leave a Reply

Back to top button

You cannot copy content of this page