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पॉश कॉलोनी में कुत्तों और बंदरों का आतंक ,मासूम बच्ची को काटकर कुत्ते ने किया घायल

पॉश कॉलोनी में कुत्तों और बंदरों का आतंक ,मासूम बच्ची को काटकर कुत्ते ने किया घायल

हापुड़

हापुड़। नगर की पॉश कॉलोनियों व मौहल्लों में इन दिनों कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। एक मासूम बच्ची को कुत्तों ने एक सप्ताह में दो बार काटकर घायल कर दिया। कालोनिवासियों ने ईओ को पत्र भेजकर कुत्तों को पकड़नें की मांग की हैं।

जानकारी के अनुसार हापुड़ की राधापुरी कालोनी निवासी आशीष गुप्ता की भतीजी सौम्या घर के बाहर खेल रही थी, तभी कुत्ते ने उसे काटकर घायल कर दिया। इससे पूर्व भी एक सप्ताह पूर्व बच्चीं को कुत्ते ने काटकर घायल कर दिया था।

पीड़ित परिजनों ने ईओ को पत्र देते हुए कहा कि राधापुरी व जवाहरगंज में कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है आए दिन कोई ना कोई घटना होती है बार-बार शिकायत करने के बाद भीकोई कार्यवाही नहीं होती है।क्षेत्र में आवारा कुत्तों की आबादी एक गंभीर बिंदु पर पहुंच गई है, जिससे कई समस्याएं पैदा हो गई हैं जो हमारे समुदाय की सुरक्षा और भलाई दोनों को खतरे में डालती हैं। सबसे चिंताजनक मुद्दों में से हैं: आक्रामक व्यवहारः आवारा कुते निवासियों पर हमला कर रहे हैं और उन्हें काट रहे हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और
सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। वरिष्ठ नागरिक और बच्चे कुर्ती के आसान शिकार होते हैं संपत्ति को नुकसानः आवारा कुते स्कूटर, बाइक और कार सहित वाहनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे निवासियों को काफी वित्तीय नुकसान हो रहा है।

स्वच्छता संबंधी चिंताएँ: आवारा कुत्तों के अंधाधुंध शौच और पेशाब के परिणामस्वरूप हमारी कॉलोनी में स्वच्छता मानकों में गिरावट आई है, उनके अपशिष्ट सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाते हैं और निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं।

ध्वनि प्रदूषणः रात के दौरान आवारा कुत्तों के लगातार भौंकने से हमारे पड़ोस की शांति भंग हो जाती है, जिससे निवासी बहुत जरूरी नींद और आराम से वंचित हो जाते हैं।

अन्य कुत्तों के साथ संघर्षः उनकी उपस्थिति के कारण अक्सर क्षेत्रीय विवाद होते हैं और अन्य कुत्तों के साथ हिंसक मुठभेड़ होती है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों जानवरों को चोटें और परेशानी होती है।

अनियंत्रित प्रजननः हर छह महीने में आवारा कुतों का अनियंत्रित प्रजनन समस्या को बढ़ा देता है, जिससे उनकी आबादी में तेजी से बढ़ोतरी होती है और उपरोक्त समस्याएं और भी बढ़ जाती है।

उन्होंने आवारा कुत्तों को पकड़ने और नियंत्रित करने की मांग की।

हापुड़। नगर की पॉश कॉलोनियों व मौहल्लों में इन दिनों कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। एक मासूम बच्ची को कुत्तों ने एक सप्ताह में दो बार काटकर घायल कर दिया। कालोनिवासियों ने ईओ को पत्र भेजकर कुत्तों को पकड़नें की मांग की हैं।

जानकारी के अनुसार हापुड़ की राधापुरी कालोनी निवासी आशीष गुप्ता की भतीजी सौम्या घर के बाहर खेल रही थी, तभी कुत्ते ने उसे काटकर घायल कर दिया। इससे पूर्व भी एक सप्ताह पूर्व बच्चीं को कुत्ते ने काटकर घायल कर दिया था।

पीड़ित परिजनों ने ईओ को पत्र देते हुए कहा कि राधापुरी व जवाहरगंज में कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है आए दिन कोई ना कोई घटना होती है बार-बार शिकायत करने के बाद भीकोई कार्यवाही नहीं होती है।क्षेत्र में आवारा कुत्तों की आबादी एक गंभीर बिंदु पर पहुंच गई है, जिससे कई समस्याएं पैदा हो गई हैं जो हमारे समुदाय की सुरक्षा और भलाई दोनों को खतरे में डालती हैं। सबसे चिंताजनक मुद्दों में से हैं: आक्रामक व्यवहारः आवारा कुते निवासियों पर हमला कर रहे हैं और उन्हें काट रहे हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और
सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। वरिष्ठ नागरिक और बच्चे कुर्ती के आसान शिकार होते हैं संपत्ति को नुकसानः आवारा कुते स्कूटर, बाइक और कार सहित वाहनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे निवासियों को काफी वित्तीय नुकसान हो रहा है।

स्वच्छता संबंधी चिंताएँ: आवारा कुत्तों के अंधाधुंध शौच और पेशाब के परिणामस्वरूप हमारी कॉलोनी में स्वच्छता मानकों में गिरावट आई है, उनके अपशिष्ट सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाते हैं और निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं।

ध्वनि प्रदूषणः रात के दौरान आवारा कुत्तों के लगातार भौंकने से हमारे पड़ोस की शांति भंग हो जाती है, जिससे निवासी बहुत जरूरी नींद और आराम से वंचित हो जाते हैं।

अन्य कुत्तों के साथ संघर्षः उनकी उपस्थिति के कारण अक्सर क्षेत्रीय विवाद होते हैं और अन्य कुत्तों के साथ हिंसक मुठभेड़ होती है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों जानवरों को चोटें और परेशानी होती है।

अनियंत्रित प्रजननः हर छह महीने में आवारा कुतों का अनियंत्रित प्रजनन समस्या को बढ़ा देता है, जिससे उनकी आबादी में तेजी से बढ़ोतरी होती है और उपरोक्त समस्याएं और भी बढ़ जाती है।

उन्होंने आवारा कुत्तों को पकड़ने और नियंत्रित करने की मांग की।

 

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