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12 लाख श्रद्धालुओं ने किया दीपदान, अपनों को याद कर भर आई आंखें

12 लाख श्रद्धालुओं ने किया दीपदान, अपनों को याद कर भर आई आंखें

हापुड़

उत्तर भारत के प्रमुख कार्तिक गंगा मेलें में 15 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीपदान किया। इस दौरान अपनों को याद कर परिजनों की आंखें भर आई। दीपदान के समय गंगानगरी जगमगा उठी।

जानकारी के अनुसार ऐतिहासिक-पौराणिक कार्तिक पूर्णिमा मेले को मिनी कुंभ भी कहा जाता है। जिसमें खादर क्षेत्र में दिल्ली,एनसीआर हरियाणा, राजस्थान,पश्चिमी उ.प्र. से लाखों श्रद्धालु पड़ाव डालकर विभिन्न धार्मिक आयोजन करने के साथ ही गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस मेले का सबसे अहम पर्व चतुर्दशी को मनाया जाता है, जिसमें श्रद्धालु वर्ष भर में मृतक अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए गंगा में
दीपदान करते हैं।

रविवार को तीनों स्थानों पर गंगा के मुख्य घाटों पर भीड़ एकत्र हो गई। जहां गंगा लाखों लोगों ने हर-हर गंगे के जयकारों के बीच सूर्यास्त होते ही गंगा
किनारे हजारों की संख्या में महिलाएं पुरुष व बच्चों ने पूर्व में मृतक
अपने परिवार के लोगों की आत्म शांति के लिए गंगा में फूलों से सजी चटाई
पर 9-11-21 देशी घी के दीपक जलाकर गंगा जी में प्रवाहित किया। इस दौरान परिजन अपनों को याद कर रोतें हुए नजर आएं। जिससे माहौल गमगीन हो गया।

अंधेरा होते ही गंगा में चारों और चटाई पर दीपक ही दीपक दिखाई दे रहे थे। जिससे
दीपकों की रोशनी से गंगा जगमगा रही थी। गंगा मैया का दृश्य देखने में
मनमोहक लग रहा था। दीपदान के बाद गंगा दोबारा गंगा स्नान कर श्रद्धालु वापसी के लिए रवाना हो गए।

दीयों से जगमग हुई गंगा
दीपदान के वक्त गंगा घाट आसमान में तारों जैसा दिखाई देने लगा। जिनक प्रतिबिंब गंगा में पड़ने से ऐसा लगा, जैसे गंगा मैय्या को आकाश गंगा का स्वरूप मिल गया हो। इस मनोहारी दृश्य को देखने के लिए भी श्रद्धालुओं की भीड़ घाटों पर जुटी रही। देर रा तक श्रद्धालुओं ने दीपदान किया।

बताया जाता है कि पौराणिक मेले में दीपदान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता
है। चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों से महाभारत के युद्घ में
मारे गये असंख्य वीर योद्घाओं एवं सगे सम्बंधियों की आत्म शांति एवं
मोक्ष प्राप्ति करने के लिए दीपदान कराया था। तभी से कार्तिक पूर्णिमा
गंगा मेले में चतुर्दशी के दिन गंगा में दीपदान करने की प्रथा चली आ रही
हैं।
वही दूसरी ओर ब्रजघाट शहरी मेले में भी जनपद सहित अन्य जनपदों व प्रदेशों से पहुंचे हजारों की संख्या में पुरुष,बुजुर्ग व बच्चों ने अपने
परिवार के मृत लोगों की आत्म शांति व मोक्ष प्राप्ति के गंगा में दीपदान किया।

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