स्कूलों कालेजों में क्षय रोग पर पोस्टर, निबंध और वाद विवाद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
क्षय रोग उन्मूलन के लिए जनांदोलन का चौथा चरण :
नियमित उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं क्षय रोगी : डीटीओ
राजपूताना इंटर कॉलेज में हुआ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
क्षय रोग विभाग ने छात्रों की दी क्षय रोग के लक्षणों की जानकारी
हापुड़। प्रधानमंत्री के 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने के लिए क्षय रोग विभाग “जनांदोलन” कार्यक्रम के तहत लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इन कार्यक्रमों का मकसद टीबी के रोगियों का शुरुआत में ही उपचार शुरू करना और रोगी के संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमण की चपेट में आने से बचाना है। “जनांदोलन” कार्यक्रम के चौथे चरण में स्कूलों कालेजों में क्षय रोग पर पोस्टर, निबंध और वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कराया जा रहा है। बुधवार को पिलखुवा स्थित राजपूताना इंटर कालेज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान टीबी के लक्षणों और सरकारी स्तर पर टीबी के उपचार के लिए उपलब्ध निशुल्क सेवाओं की जानकारी दी गई।
इस मौके पर छात्रों को संबोधित करते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने कहा क्षय रोग छिपाने से बढ़ता है। दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी के साथ खून आन, लगातार बुखार बने रहने और रात में सोते समय पसीना आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच कराएं। टीबी को नियमित उपचार कराने से रोगी पूरी तरह ठीक हो जाता है। सरकारी अस्पतालों में टीबी का उपचार पूरी तरह निशुल्क है। उन्होंने बताया टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है, लेकिन फेफड़ों की टीबी संक्रामक होने के चलते ज्यादा खतरनाक है। टीबी रोगी के सांस और मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट के जरिए यह बीमारी दूसरे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेती है।
जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने बताया- यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक खांसी ‘ बलगम का आना ‘ बलगम में खून का आना ‘बुखार आना मरीज को भूख कम लगना वजन का घटना आदि लक्षण हैं तो ऐसे व्यक्ति को तुरंत अपने पास के सरकारी अस्पताल में जांच करानी चाहिए। टीबी की जाँच सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध है। उपचार जारी रहने तक टीबी रोगियों को बेहतर पोषण के लिए सरकार निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान उनके खाते में करती है।
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