दुधवा के बारहसिंगों का डीएनए प्रोफाइल बनेगा
दुधवा के जंगलों में आबाद है बारहसिंगा हिरनों की बड़ी दुनिया
दुधवा में पांच प्रजातियों के पाए जाते हैं हिरन, प्रदेश का राज्य पशु है बारहसिंगा
बांकेगंज। दुधवा टाइगर रिजर्व में कुलाचे भरने वाले बारहसिंगा हिरनों को अब संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही डब्ल्यूआईआई (भारतीय वन्यजीव संस्थान) के वैज्ञानिकों की टीम दुधवा पहुंचकर डीएनए प्रोफाइल तैयार करने का काम शुरू करेगी।
दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ ही बारहसिंगा हिरनों की एक बड़ी दुनिया आबाद है। यहां दुधवा के अलावा किशनपुर सेंक्चुरी, मैलानी रेंज (वन्यजीव विहार), बेलरायां, दक्षिण सोनारीपुर, भादीताल, बांकेताल में करीब तीन हजार से अधिक बारहसिंगा पाए जाते हैं।
दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी रेंज की जटपुरा बीट के बरौंछा नाला, भीरा, पलिया, संपूर्णनगर, उत्तर-दक्षिण निघासन और धौरहरा रेंज में भी बहुतायत में बारहसिंगा देखे जाते हैं। हालांकि इससे पहले बारहसिंगा की गणना नहीं होती थी, इसलिए कभी उनकी सही संख्या का आकलन नहीं हो पाया।
दुधवा टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक/ फील्ड निदेशक संजय पाठक ने बताया कि दुधवा के जंगलों में पाए जाने वाले बारहसिंगा के संरक्षण और संवर्धन के लिए डब्ल्यूआईआई (भारतीय वन्यजीव संस्थान) के वरिष्ठ वैज्ञानिक सम्राट मंडल, विश्वास पांडेय के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम जल्द ही दुधवा पहुंचकर बारहसिंगा का डीएनए प्रोफाइल तैयार करेगी। इस प्रोफाइल को तैयार करने के लिए जगह-जगह कैमरे लगाकर यहां कुलाचे भरने वाले बारहसिंगा की तस्वीर कैद की जाएगी। साथ ही विष्ठा एकत्र कर उनके नमूने लिए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर अनुमति के बाद बारहसिंगा के सैंपल भी एकत्र किए जाने की भी योजना है।
विश्व में केवल दुधवा में ही मौजूद हैं पांच प्रजातियों के हिरन
जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. वीपी सिंह बताते हैं कि दुधवा विश्व का इकलौता नेशनल पार्क है, जिसमें बारहसिंगा, चीतल, सांभर, पाढ़ा और काकड़ समेत पांच प्रजातियों के हिरन पाए जाते हैं। यहां झुंडों में पाए जाने वाले बारहसिंगा के संरक्षण के लिए वर्ष 1977 में दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना हुई। इसके अलावा यहां बहुत बड़ी संख्या में बाघ भी पाए जाते थे। दुधवा के जंगल में बाघों के अंधाधुंध शिकार को रोकने के लिए वर्ष 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू हुआ और 18 नवंबर 1972 को बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया।
दुधवा के जंगलों में आबाद है बारहसिंगा हिरनों की बड़ी दुनिया
दुधवा में पांच प्रजातियों के पाए जाते हैं हिरन, प्रदेश का राज्य पशु है बारहसिंगा
बांकेगंज। दुधवा टाइगर रिजर्व में कुलाचे भरने वाले बारहसिंगा हिरनों को अब संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही डब्ल्यूआईआई (भारतीय वन्यजीव संस्थान) के वैज्ञानिकों की टीम दुधवा पहुंचकर डीएनए प्रोफाइल तैयार करने का काम शुरू करेगी।
दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ ही बारहसिंगा हिरनों की एक बड़ी दुनिया आबाद है। यहां दुधवा के अलावा किशनपुर सेंक्चुरी, मैलानी रेंज (वन्यजीव विहार), बेलरायां, दक्षिण सोनारीपुर, भादीताल, बांकेताल में करीब तीन हजार से अधिक बारहसिंगा पाए जाते हैं।
दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी रेंज की जटपुरा बीट के बरौंछा नाला, भीरा, पलिया, संपूर्णनगर, उत्तर-दक्षिण निघासन और धौरहरा रेंज में भी बहुतायत में बारहसिंगा देखे जाते हैं। हालांकि इससे पहले बारहसिंगा की गणना नहीं होती थी, इसलिए कभी उनकी सही संख्या का आकलन नहीं हो पाया।
दुधवा टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक/ फील्ड निदेशक संजय पाठक ने बताया कि दुधवा के जंगलों में पाए जाने वाले बारहसिंगा के संरक्षण और संवर्धन के लिए डब्ल्यूआईआई (भारतीय वन्यजीव संस्थान) के वरिष्ठ वैज्ञानिक सम्राट मंडल, विश्वास पांडेय के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम जल्द ही दुधवा पहुंचकर बारहसिंगा का डीएनए प्रोफाइल तैयार करेगी। इस प्रोफाइल को तैयार करने के लिए जगह-जगह कैमरे लगाकर यहां कुलाचे भरने वाले बारहसिंगा की तस्वीर कैद की जाएगी। साथ ही विष्ठा एकत्र कर उनके नमूने लिए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर अनुमति के बाद बारहसिंगा के सैंपल भी एकत्र किए जाने की भी योजना है।
विश्व में केवल दुधवा में ही मौजूद हैं पांच प्रजातियों के हिरन
जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. वीपी सिंह बताते हैं कि दुधवा विश्व का इकलौता नेशनल पार्क है, जिसमें बारहसिंगा, चीतल, सांभर, पाढ़ा और काकड़ समेत पांच प्रजातियों के हिरन पाए जाते हैं। यहां झुंडों में पाए जाने वाले बारहसिंगा के संरक्षण के लिए वर्ष 1977 में दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना हुई। इसके अलावा यहां बहुत बड़ी संख्या में बाघ भी पाए जाते थे। दुधवा के जंगल में बाघों के अंधाधुंध शिकार को रोकने के लिए वर्ष 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू हुआ और 18 नवंबर 1972 को बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया।
दुधवा टाइगर रिजर्व में इससे पहले बारहसिंगा की गणना नहीं हुई। हालांकि यहां यह बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। जंगल में कुलाचे भरते बारहसिंगा दुधवा और किशनपुर सेंक्चुरी भ्रमण करने आने वाले सैलानियों को खूब दिखाई देते हैं। अब इनके संरक्षण के लिए डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों का दल जल्द ही दुधवा पहुंचकर इनकी डीएनए प्रोफाइल बनाने का काम शुरू करेगा। – संजय पाठक, मुख्य वन संरक्षक/ फील्ड निदेशक, दुधवा टाइगर रिजर्व
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