हापुड़। सौभाग्य योजना के दौरान हजारों उपभोक्ताओं ने कनेक्शन ते ले लिए, लेकिन इनमें से अधिकांश उपभोक्ता ने एक बार भी बिल जमा नहीं किया। फरवरी में नेवर पेड वाले उपभोक्ताओं की संख्या 25208 थी, जिनमें सिर्फ 13443 से ही वसूली हो सकी है। बचे उपभोक्ताओं में बहुत से ऐसे हैं, जिन्होंने पुराना कनेक्शन होते हुए भी नया कनेक्शन लिया। बहरहाल, वसूली की रिपोर्ट से उच्चाधिकारी असंतुष्ट हैं।
चार साल पहले जिले में सौभाग्य योजना शुरू हुई थी। इस योजना के तहत घर-घर कनेक्शन देने की मुहिम शुरू की गई। कनेक्शन निशुल्क दिया जाना था, निजी कंपनियों को लक्ष्य आवंटित कर कनेक्शन देने की जिम्मेदारी दी गई। हापुड़ समेत कई जिलों में लक्ष्य पूरा करने के लिए कनेक्शन देने में अनियमितता बरती गई। निगम में चर्चा है कि सैकड़ों ऐसे उपभोक्ताओं को भी कनेक्शन दिए गए जिनके घर पहले से कनेक्शन थे।
यही कारण है कि योजना के तहत आने वाले हजारों की संख्या में उपभोक्ता अक्सर नेवर पैड की श्रेणी में ही आते हैं। जिले के तीनों डिवीजन में ऐसे उपभोक्ताओं की भरमार है, लेकिन पिलखुवा डिवीजन में संख्या सबसे अधिक है।
शासन की समीक्षा में फरवरी माह में जिले के तीनों डिवीजन में 25208 उपभोक्ता नेवर पैड की श्रेणी में थे। तीनों डिवीजन के अफसरों को रोजाना 1123 उपभोक्ताओं से वसूली का लक्ष्य दिया था। लेकिन लक्ष्य के सापेक्ष वसूली सिर्फ 136 उपभोक्ताओं से ही प्रतिदिन हो सकी। आलम यह है कि वसूली में निगम के अधिकारी पिछड़ते रहे, जिसके चलते अभी भी 11765 उपभोक्ता नेवर पैड की श्रेणी में हैं।
निष्पक्ष जांच हो तो खुलेंगे राज-
सौभाग्य योजना को लेकर अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं, क्योंकि यह योजना केंद्र सरकार की थी। अफसरों की आंखों के सामने ही इसमें अनियमितताएं भी हुई, लेकिन कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ। अब योजना के दौरान दिए गए कनेक्शन की निष्पक्ष जांच हो तो कई राज खुलेंगे।
अभियान भी नहीं आए काम
नेवर पैड वाले उपभोक्ताओं से वसूली को लेकर कई अभियान चलाए गए। इसमें ऐसे उपभोक्ताओं ने तो बिल जमा किए जो वास्तव में बकायेदार हैं। लेकिन जिन उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने में अनियमितताएं हुई वह अभी भी नेवर पैड की श्रेणी में हैं।
वसूली में तेजी के दिए हैं निर्देश
तीनों डिवीजन के अधिशासी अभियंताओं को राजस्व वसूली में तेजी के आदेश दिए हैं। कभी बिल न चुकाने वाले उपभोक्ता प्राथमिकता पर हैं, जिनसे लगातार वसूली की भी जा रही है। – यूके सिंह, अधीक्षण अभियंता।