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हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों पर लगें भ्रष्टाचार के आरोप,मुख्यमंत्री से की जांच की मांग,प्राधिकरण पर जानबूझकर लोगों को परेशान करनें का आरोप,कलेक्ट्रेट पर किया धरना प्रदर्शन

हापुड़ (अमित मुन्ना)।

भाकियू अराजनैतिक ने हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण पर भ्रष्टाचार व लोगों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को.ज्ञॉपन भेज जांच करवानें की मांग की और कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञॉपन प्रशासन को सौंपा।

भाकियू अराजनीतिक के जिलाध्यक्ष पवन हूण के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकत्ताओं ने सोमवार को कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञॉपन डीएम को सौंपा।

भाकियू ने ज्ञॉपन में कहा कि एडीएम भूमि गाजियाबाद व हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण द्वारा कानून विपरीत किसानों की जमीने छीनने और प्राधिकरण अधिकारियों के भष्टाचार में लिप्त होकर राजस्व हानि करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि आनन्द विहार आवासीय योजना के तहत ग्राम चमरी, सबली ,अच्छेजा की लगभग 181 हेक्टेयर जमीन के लिए 30.07.2006 अधिसूचना जारी हुई।
योजना में प्राधिकरण के गठन से पूर्व बने किसानों के मकान, दुकान गैर कानूनी रूप से अधिग्रहण में शामिल कर लिया। जब प्राधिकरण अधिकारी इन मकान दुकान को छोड़ने के एवज में 19 हजार रूपये की मांग कर रहे हैं जबकि किसानों को इन मकान दुकानों को 261 रूपयें का मुआवजा देने को कह रहे है प्राधिकरण अधिकारी किसानों पर तरह-तरह के दबाव बनाकर उत्पीड़ित कर रहे है।

उन्होंने कहा कि 11 जुलाई 2008 को एडीएम भू०अ० / सिंचाई गाजियाबाद द्वारा गैरकानूनी रूप से किसानों की जमीनों पर कब्जा परिवर्तन कर दिया। कब्जा परिवर्तन से पूर्व कोई मुआवजा व नोटिस नहीं दिये थे। उक्त भूमि घोटाला 2008 की सरकार में किया गया। धारा 6(1)/17 की जारी दिनांक 13.07.2008 को दो वर्ष के भीतर अवार्ड भी घोषित नही किया। इस नियम के अनुसार जमीनों से अधिग्रहण कार्यवाही समाप्त मानी जाती है।
उन्होंने कहा कि
ए.डी.एम. (एल.ए.) गाजियाबाद का कहना है कि नया भूमि अधिनियम लागू होने से एक दिन पहले दिनांक 31.12.2013 को अवार्ड घोषित कर दिया। परन्तु उक्त अवार्ड से पहले भी दो समाचार पत्रों में सूचना नहीं छपवाई और किसानों को 12 (2) व धारा-31 के नोटिस भी नही दिये, जबकि मुआवजा भी न्यायालय में जमा नही कराया, जबकि लगभग 7 वर्ष बाद उक्त फर्जी अवार्ड बनाने का क्या औचित्य है? ये सब किसानों की भूमि को गैरकानूनी रूप से छीनने का षडयन्त्र है जिसे हम किसान कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। नया कानून लागू होने के बाद भूमि अधिनियम 2013 की धारा- 24 (1) ए के कवर मामलों में शासनादेश व नियम होने के बावजूद ए.डी. एम.एल.ए. पुराने रेट 281.00 रुपये की कीमत लगाकर सप्लीमेंट्री अवार्ड बना दिया है जो कानून के विरुद्ध है। ए.डी.एम.एल.ए. किसानों को मानसिक व आर्थिक रूप से कमजोर करने की नियत से गैरकानूनी काम करते आ रहे है।

उन्होंने कहा कि हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण अधिकारी किसानों से गैर कानूनी रूप से भूमि को व्यक्तिगत लाभ लेकर अपने चहेतों को कौड़ियों के दाम पर गैर कानूनी रूप बाद रही है। उदाहरण के तौर पर डी-ब्लॉक में लगभग 8000 मीटर अपनी चहेते को 14200 रूपये में एलोट की बोली में जिन 3 कम्पनियों को शामिल किया वे तीनों ही आपस में एक व्यक्ति के हितों से जुड़ी हुई है जिसकी जांच करें दोषी को सजा दिलाने की मांग की।

ए.डी.एम.एल.ए. ने जमीन खतौनियों से किसानों का नाम काटकर एच.पी.डी.ए. के नाम दर्ज करा दिया है जो गैर कानूनी है। जब तक उपरोक्त प्रकरण का निस्तारण ना हो जाये तब तक किसानों के नाम खतौनी में पुनः दर्ज किये जाये ताकि खाद्य बीज आदि का लाभ किसानो को मिलता रहें।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि 2008 से 2016 तक की सरकारों में हुए इस पूरे मामलों की जांच कर दोषी अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज व दण्डित करने व पीड़ित किसानों को शीघ्र नियमानुसार न्याय दिलाने की मांग की।

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