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सैनिकों के साथ मिलकर करेंगे हीटवेव का सामना-जिलाधिकारी


हापुड़।जिलाधिकारी श्रीमती प्रेरणा शर्मा ने कलेक्ट्रेट सभागार में सैनिक बंधु जागरूकता बैठक तथा लू प्रबंधन कार्यशाला में लोगों को लू से बचाव के उपायों के बारे मे जानकारी दी।
जिलाधिकारी ने कहा कि पहले के व्यक्ति लू-प्रकोप से बचाव हेतु अनेक उपाय किया करते थे, जैसे कि लोग अपने घरों के बाहर राहगीरों के लिए पीने का पानी मिट्टी के मटके में भरकर रखा करते थे तथा पशु पक्षियों के लिए भी गर्मी के मौसम में पीने के पानी की व्यवस्था करते थे। उन्होने कहा की विगत कुछ वर्षों में देखा गया है कि तापमान में काफी वृद्धि होने के कारण लू भी अधिक चलती है। तथा पेड़ो का कटान अधिक होने से भी व्यक्ति गर्मी से अधिक प्रभावित हो रहे है, क्योकि पहले लोग गर्मी/लू से बचने के लिए पेड़ों की छाया में बैठ जाते है थे जो गर्मी से राहत प्रदान करते थे।
जिला आपदा विषेशज्ञ गजेन्द्र सिंह बघेल ने बताया की गेहूँ की फसल का कटाई की जा रही है, जिसको देखते हुए लू-प्रकोप से बचाव के लिए धूप में रहकर लगातार कटाई न करे, दो-दो घण्टे के अन्तराल पर छाया में बैठकर आराम करें तथा पेय पदार्थों का भी प्रयोग करते रहे।
गर्मी के मौसम को देखते हुए प्राइमरी एवं इण्टर कॉलेज के विद्यालयों के समय में परिवर्तन किये जायेंगे, जिससे बच्चों को लू-प्रकोप से बचाया जा सके तथा श्रम विभाग को भी श्रमिकों के हित में जनपद के छोटे एवं बड़े उद्योगो के प्रबन्धकों को यह आदेश जारी करना चाहिए कि उद्योग प्रतिष्ठानों में श्रमिकों/मजदूरों से अधिक देर तक धूप में कार्य न करवाये, यदि कार्य के स्थान पर छाया का प्रबन्ध न हो तथा धूप में कार्य कराया जाना अनिवार्य हो, तो बीच-बीच में श्रमिकों/मजदूरों को आराम दिलाया जाये एवं निरन्तर पीने के पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाये।
जिला आपदा विषेशज्ञ द्वारा बताया गया कि सेवानिवृत्त सैनिकों की समाज में अहम भूमिका होती है। प्रशिक्षित एवं अपने क्षेत्र में दक्ष होने के साथ-साथ सैनिकों को अपने आसपास रहने वालें लोगों की अच्छी जानकारी रहती है, जिससे किसी भी प्रकार की आपदा एवं आपातकालीन स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य किया जा सकता है तथा विभिन्न प्रकार की आपदाओं से बचाव के सम्बन्ध में समाज के लोगों को जागरूक कर सकते है।
कार्यशाला के अन्त में कर्नल श्री विवेक ने बताया कि समाज से जुड़े किसी भी कार्य एवं आपदा प्रबन्ध के कार्यों में सेवानिवृत्त सैनिक बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है तथा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी निर्वहन करते है।

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