बिजली विभाग में भारी घोटाला, निगम दबानें में लगा
हापुड़, ।
विद्युत निगम के गढ़ डिविजन में लंबे समय से बड़ा खेल विद्युत अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। बिजली चोरी पकड़े जाने पर उपभोक्ता के खिलाफ मोटी रकम की वसूली के लिए आरसी जारी की जाती है, लेकिन पोर्टल पर यही रकम बेहद कम दिखाई जाती है। जिससे सरकार को बड़ी बिजली चोरी भी मामूली चोरी लगती है। बाद में सांठगांठ कर उपभोक्ता के साथ मामला निपटा दिया जाता है। विजिलेंस विभाग की टीम ने दो माह पूर्व यह घोटाला पकड़ा था और इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी थी।
विद्युत निगम में अव्यवस्थाओं का बोलबाला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन कोई न कोई अनियमितता सामने आती रहती है। इस बार भी विजिलेंस विभाग की टीम ने गढ़ डिविजन में ऐसा ही एक मामला उजागर किया है जिसमें करोड़ों रुपये का घोटाला होने का अंदेशा है। विजिलेंस विभाग की टीम द्वारा कुछ माह पूर्व एक बिजली चोरी पकड़ी गई थी। जिससे जुर्माना वसूली के लिए उपभोक्ता को जो आरसी जारी की गई थी उसमें रकम तीन लाख 12 हजार 682 रुपये थी, लेकिन पोर्टल पर जो जुर्माना वसूली की रकम दर्शार्ई गई वह 30 हजार 812 रुपये थी। इसी तरह एक दूसरे उपभोक्ता के यहां भी बिजली चोरी पकड़े जाने के बाद जुर्माना की वसूली के लिए 3 लाख 74 हजार 684 रुपये की आरसी जारी की गई थी, लेकिन पोर्टल पर वसूला गया जुर्माना की राशि करीब 35 हजार रुपये दिखाई गई थी। विजिलेंस टीम ने जब इस घपले को देखा तो उन्होंने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की। आरोप है कि उच्चाधिकारियों ने एक वरिष्ठ अधिकारियों को जांच का जिम्मा सौंपा, लेकिन उक्त अधिकारी ने जांच के नाम पर लीपापोती करके मामला निपटा दिया।
विजिलेंस की टीम भी इस घोटाले को तब पकड़ सकी जब उन्हें बिजली चोरी पकड़ने, आरसी जारी करने और जुर्माना की वसूली का जिम्मा सौंपा जाने लगा। विजिलेंस टीम के अधिकारियों का भी मानना है कि ये केवल दो मामले नहीं है बल्कि ऐसे सैकड़ों मामले वे पकड़ चुके हैं, जिनमें जुर्माना की वसूली के लिए आरसी लाखों रुपये की जारी की गई और पोर्टल पर कम रकम दिखाकर बाद में बिजली चोरी के आरोपी उपभोक्ता से सांठगांठ कर बीच का रास्ता निकालकर मामला निपटा दिया गया। विजिलेंस टीम के हिसाब से यह करोड़ों रुपये का घोटाला है। अगर इसकी जांच में निष्पक्षता बरती गई तो कई बड़े अधिकारी भी इस घोटाले की जांच के दायरे में आ सकते हैं।
वही अधीक्षण अभियंता यूके सिंह ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि गढ़ डिविजन के अधिशासी अभियंता ही इस बारे में जानकारी दे सकते हैं।
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