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फाल्गुन अमावस्या आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए क्या करें दान

आज फाल्गुन अमावस्या है। शास्त्रों में वर्णित है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। अमावस्या के दिन भगवान शिव और श्रीकृष्ण की पूजा का भी विधान है। कहा जाता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान, दान और धार्मिक कार्यों को किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है।

फाल्गुन अमावस्या शुभ मुहूर्त-

मार्च 12, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरम्भ।
मार्च 13, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त।

फाल्गुन अमावस्या का महत्व-

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। कहा जाता है कि जीवन में सुख शांति और सौभाग्य के लिए फाल्गुन अमावस्या का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या अगर सोमवार, मंगलवार, गुरुवार या शनिवार को पड़ती है तो यह सूर्यग्रहण से ज्यादा फलदायी होती है। 

फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि-

1. फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे पितरों को मुक्ति मिलने की मान्यता है।
2. अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए।
3. इस दिन आप किसी पुरोहित से तर्पण करा सकते हैं या फिर खुद भी कर सकते हैं।
4. पितरों के स्थान या फिर जहां पर उनकी तस्वीर लगी हो उस जगह को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
5. इसके बाद उस स्थान पर देशी घी का दीपक जलाना चाहिए। फिर पूर्वज की तस्वीर पर सफेद चंदन का तिलक करें और उन्हें सफेद पुष्प अर्पित करें। 

अमावस्या के दिन क्या करें-

1. सुबह उठने के बाद दैनिक कार्यों से निवृत होकर गंगा या किसी भी पवित्र नदी में जाकर स्नान करना चाहिए।
2. फाल्गुन अमावस्या के दिन गरीबों को दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आपके पूर्वज खुश होंगे।
3. इस दिन शाम को पीपल के पेड़ के पास सरसों तेल का दीया जलाएं और पीपल पेड़ का सात चक्कर भी लगाएं। ऐसा करते समय अपने पूर्वजों को याद करें।
4. फाल्गुन अमावस्या के दिन भगवान शिव, अग्नि देवता और ब्राह्मणों को उड़द दाल, दही और पूरी के रूप में नैवेद्यम जरूर अर्पण करें। 
5. इस दिन महादेव मंदिर जाकर शिव भगवान को गाय का दूध, दही और शहद से अभिषेक करें। साथ ही काला तिल भी चढ़ाएं।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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