दीपावली मनाने को लेकर विभिन्न संगठनों व ब्राह्मण समाज की आयोजित हुई बैठक,एक नवम्बर को दीपावली मनाने का लिया गया निर्णय, दूसरे पक्ष ने अमावस्या की रात 31 अक्टूबर को मनाने का रखा तर्क

दीपावली मनाने को लेकर विभिन्न संगठनों व ब्राह्मण समाज की आयोजित हुई बैठक,एक नवम्बर को दीपावली मनाने का लिया गया निर्णय, दूसरे पक्ष ने अमावस्या की रात 31 अक्टूबर को मनाने का रखा तर्क

हापुड़ (यर्थाथ अग्रवाल मुन्ना)।

संयुक्त हापुड़ उद्योग व्यापार मंडल हापुड़, अग्रवाल महासभा रजि हापुड़ द्वारा राजमहल बैंकेट चैम्बर ऑफ कॉमर्स चंडी रोड हापुड़ पर दीपावली पूजन की तिथि को लेकर उत्पन विवाद को लेकर एक महत्वपूर्ण मीटिंग आयोजित की गई। मीटिंग में बड़ी संख्या में विभिन्न धार्मिक एवम् सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी, शास्त्रों के ज्ञाता,पुजारी, व्यापारिक संगठन के सदस्यों की उपस्थिति में अध्यक्ष ललित अग्रवाल छावनी वालो ने उपस्थित सभी विद्वानों, व्यापारियों, पत्रकारों एवम् विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों का स्वागत किया विद्वानों से निवेदन किया कि व्यापारियों व सनातनी हिंदुओं को शास्त्र सम्मत जानकारी प्रदान करें की यह वर्ष दीपावली किस प्रकार हम सभी के जीवन व परिवारों के लिए शुभ मंगल हो।
भारतीय ज्योतिष कर्मकांड परिषद हापुड़ के अध्यक्ष श्री के सी पांडे , योगीराज संजीव कौशिक, पंडित योगेन्द्र स्वामी, मनसा देवी मंदिर के पुजारी श्री देवी प्रसाद, श्री अखिलेश गुरु जी, पण्डित महेश चन्द, चंडी मन्दिर के पुजारी मिथलेश जी, लव कुश शास्त्री, डॉ वासुदेव शर्मा पूर्व निदेशक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, पंडित कमलेश घिड़ियल जी ने अपने अपने महत्वपूर्ण तर्क प्रस्तुत किए।
जिसमें महत्वपूर्ण था की प्रभु श्री राम जी के अयोध्या वापस आने की जानकारी भरत जी को सबसे पहले हनुमान जी ने दी थी। जिस कारण दिपावली पर स्नान कर सबसे पहले हनुमान जी की पूजा और भोग अमावस्या प्रात को ही लगाया जाता है। इस के बाद पितृ पूजा व पंडितों का भोजन दोपहर तक ही होता है। फिर दूकान, ऑफिस, फैक्ट्री आदि प्रतिष्ठानों की पुजा की जाती है। संध्या उपरान्त घर पर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा सम्पन्न होती है।
महत्वपूर्ण जानकारी यह थी कि व्यापारियों के लिए प्रदोष काल प्रात: काल का शुभ होता है, ब्राह्मण भोजन संध्या काल में नही होता, भारत वर्ष में यदि 100 पंचाग हैं तो 90 पंचांगों में दीपावली 1नवम्बर व केवल 10 पंचांगों में 31 अक्टूबर को दीपावाली दर्शाई गई है जो की शास्त्र सम्मत नही है। 1अक्टूबर को प्रात: से पूरी रात्रि पूजन करना तर्क संगत है, 1तारीख को स्वाति नक्षत्र होने के कारण व्यापारियों के लिए बहुत शुभ है, कुल 11 विद्वानों में से 9 ने अपनी सहमति 1अक्टूबर को दीपावाली शुभ मंगल कारी तथा श्री चंडी मंदिर के पुजारी मिथिलेश जी ने 31 अक्टूबर व1 नवंबर दोनों दिन ही शुभ बताएं,
लव कुश शास्त्री जी ने कहा कि 31 अक्टूबर को पूजा करने में क्या दोष है परंतु तर्क वितर्क होने पर शास्त्र सम्मत जवाब नही दे पाए।
काफी विचार विमर्श के पश्चात एक मत निर्णय लिया गया कि दीपावाली पूजन तिथि 1नवंबर ही शुभ मंगल है।
अत आप सभी से अनुरोध है कि दीपावली पूजन 1 नवंबर को ही संपन्न कराए।
सभा का संचालन व्यापारी नेता संजय अग्रवाल ने किया। सभा में मुख्य रूप से राजीव गर्ग दतियाना वाले, सोनू बंसल, मनीष कंसल मक्खन,वीरेंद्र गर्ग बिट्टू, हरेंद्र कौशिक, विशाल गुप्ता, कपिल सिंहल विमेश गोयल, सुधीर गुप्ता, संजय गर्ग , संजय शर्मा, शरद गर्ग, मोहित जैन अचार वाले, तरुण गर्ग, अंकुर कंसल, जय भगवान गौतम, प्रवीण सेठी, ललित बंसल, विकास शर्मा गुड्डू आदि बड़ी संख्या में उपस्थित रही।

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