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जैन धर्म के दशलक्षण महापर्व का नवां दिन उत्तम आंकिंचन धर्म मनाया गया

हापुड़ (अमित मुन्ना)।
पर्व राज दशलक्षण पर्व के शुभ अवसर पर श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर कसेरठ बाजार स्थित हापुड़ में भव्य आयोजन सांगानेर से पधारे गौरव जैन शास्त्री जी के सानिध्य में मवाना से आया ग्रुप के द्वारा संगीत की मधुर ध्वनि के साथ संपन्न कराया गया ।
प्रातः काल से ही मंदिर जी में अभिषेक, शांति धारा ,पूजा,अर्चना की गई विधान का आयोजन श्री अशोक जैन,सौरभ जैन,अंकित जैन, सिद्ध जैन एस के जैन, मनीष जैन,योगेंद्र कुणाल जैन के द्वारा कराया गया जिसमें काफी श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
इस दशलक्षण पर्व पर गौरव जैन शास्त्री जी ने बताया कि आज उत्तम आकिंचन्य धर्म का दिन है
भाद्रमाह के सुद तेरस को दिगंबर जैन समाज के पवाॅधिराज पर्यूषण दसलक्षण पर्व का नौवाँ दिन होता है
(क) आँकिंचन हमें मोह को त्याग करना सिखाता है ॥ दस शक्यता है जिसके हम बाहरी रूप में मालिक हो सकते है; जमीन, घर, चाँदी, सोना, धन, अन्न, महिला नौकर, पुरुष नौकर, कपडे और संसाधन इन सब का मोह न रखकर ना सिफॅ इच्छाओं पर काबू रख सकते हैं बल्कि इससे गुणवान कर्मों मे वृद्धि भी होती है ॥
(ख) आत्मा के भीतरी मोह जैसे गलत मान्यता, गुस्सा, घमंड, कपट, लालच, मजाक, पसंद नापसंद, डर, शोक, और वासना इन सब मोह का त्याग करके ही आत्मा को शुद्ध बनाया जा सकता है ॥
सब मोह पप्रलोभनों और परिग्रहो को छोडकर ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है ॥
शाम को 7:00 बजे मंदिर जी में महा आरती की गई तत्पश्चात शास्त्री जी के प्रवचन हुए ।
शाम के समय मंदिर जी में जैन मिलन सुमति की तरफ से एक लघु नाटिका घर-घर पाठशाला का बहुत सुंदर मंचन किया गया जिसकी सभी ने प्रशंसा की नाटिका का संचालन सुमति की प्रधान नीतू जैन जी द्वारा किया गया जिसमें बिटिया परी का भी सहयोग रहा ।नाटिका को सफल बनाने में विनायक, गर्वित, रीयांशी, परी ,शिवांश ,भव्य, काव्य ,भावना ,शिल्पी, कविता, ममता, सीमा रीमा वसुधा सरोज रितिका रेणुका आदि का सहयोग रहा
इस अवसर पर जैन समाज के प्रधान अनिल जैन,सुरेशचंद जैन,नितिन जैन, संजीव जैन,सुशील जैन,भुवन,अंकुर ,सचिन,अमित,अशोक जैन, आकाश जैन, विकास जैन ,तुषार जैन ,संदीप जैन, मोनू जैन,नमन,अंकित, सुधीर जैन,रेखा जैन प्रभा जैन , विनोदबाला,आदि लोग उपस्थित थे

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