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कुंडली में इन ग्रहों की बुरी दशा होती है बेहद अशुभ, मुश्किलों से घिर सकता है व्यक्ति का जीवन, जानें उपाय

इंसान की जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है। व्यक्ति के जीवन में अच्छी-बुरी घटनाओं का जिम्मेदार ग्रह को भी माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर किसी जातक की कुंडली में किसी ग्रह की खराब दशा या कमजोर स्थिति होती है तो उसे अशुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। सूर्य से लेकर मंगल और शनि जैसे ग्रहों की खराब दशा व्यक्ति के जीवन में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। जानिए किस ग्रह की खराब दशा से क्या पड़ता है प्रभाव-

1. सूर्य की बुरी दशा- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर जातक की कुंडली में सूर्य की बुरी दशा चल रही हो तो ह्रदय रोग, नेत्र रोग और अपयश होने की संभावना होती है। प्रभाव को कम करने के लिए सूर्यदेव को प्रतिदिन अर्घ्य देना चाहिए। इसके साथ ही सूर्यमंत्र का जाप करना चाहिए।

2. चंद्रमा की बुरी दशा- अगर कुंडली में चंद्र की बुरी दशा हो तो अपमृत्यु, ह्रदय रोग और मन की समस्या हो जाती हैं। इसके निवारण के लिए पूर्णिमा को चंद्रमा की उपासना करें। इसके साथ ही भगवान शिव की अराधना करना शुभ होता है।

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3. मंगल की बुरी दशा- ज्योति शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में मंगल की बुरी दशा हो तो दुर्घटना और कारावास के योग बनते हैं। मंगल के बुरे प्रभाव से बचाव के लिए व्यक्ति को दान और गरीबों को भोजन कराना चाहिए। इसके साथ ही भगवान कार्तिकेय की पूजा से भी लाभ मिलता है।

4. बुध की बुरी दशा- अगर कुंडली में बुध की बुरी दशा चल रही हो तो जातक को मानसिक रोग और त्वचा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बुध की बुरी दशा के प्रभाव से बचने के लिए तुलसी पत्र से श्रीहरि का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से लाभ मिलता है।

5. गुरू की बुरी दशा- ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर जातक की कुंडली में गुरू की खराब दशा चल रही हो तो  उसे बड़ी बीमारियां होती हैं। इससे बचाव के लिए धर्मस्थान का दान करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही गुरू रूप में शिव जी की पूजा करनी चाहिए।

6. शुक्र की बुरी दशा- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में शुक्र की खराब दशा चल रही हो तो अपयश, अपमान या नेत्र विकार होता है। निवारण के लिए भगवान शिव की माता गौरी के साथ पूजा करनी चाहिए।

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7. शनि की बुरी दशा- कहते हैं कि अगर जातक की कुंडली में अपमृत्यु, दुर्घटना और लंबी बीमारियों के योग बनते हैं। इससे बचाव के लिए स्वर्ण दान और पीपल पर दीपदान करना चाहिए। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप नियमित तौर पर करना चाहिए।

8. राहु-केतु की बुरी दशा- कहते हैं कि इस दशा में आकस्मिक घटनाएं और विचित्र बीमारियां होती हैं। प्रभाव को कम करने के लिए शिव मंदिर में चांदी के सर्प का दान करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही राहु के लिए भगवान भैरव और केतु के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।

(नोट- इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)



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