ए टी एम एस कॉलेज अच्छेजा में आयोजित हुई कोयला खनिक दिवस पर कार्यशाला
हापुड़। कोयला खान मजदूरों के लिए समर्पित दिवस पर 4 मई को ए टी एम एस कॉलेज अच्छेजा के पॉलिटेक्निक विभाग में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। छात्रों को कोयला खदान और कोयले के उपयोग को समझाया गया। इंजीनियर विद्युत भद्रा ने बताया की कोयला खनन का इतिहास 220 वर्ष पुराना है।
कोयला खानों का 1973 में राष्ट्रीयकरण किया गया था। चेयरमैन नरेंद्र अग्रवाल और सचिव रजत अग्रवाल ने कोयले को ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत बताया । कारखाने, ट्रेन , भट्टियां आदि कोयले से चलती आई हैं।
कार्यकारी निदेशक डॉ राकेश अग्रवाल मैं बताया की झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ , पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश , तेलंगाना और महाराष्ट्र में कोयले के बड़े भंडार हैं। कोयले का तेजी से दोहन होने के कारण विशेषज्ञों का अनुमान है 135 वर्ष में कोयला भूगर्भ से समाप्त हो जाएगा।
फार्मेसी के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार ने कहा कि कोयला श्रमिक खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं इसलिए उनकी औसत आयु लगभग 50 वर्ष होती है। कार्यशाला विशेषज्ञ सोहन वीर और सोहन पाल ने बताया की देश में राष्ट्रीय कोयला बोर्ड की स्थापना की गई है।
झारखंड कोयले का सबसे बड़ा राज्य है। आसिफ , स्वीटी सागर, संदीप कुमार, पूजा गौतम , पारुल शर्मा नीतू , प्राची चौधरी और शिवम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। रोहन, सौरव , सनी, हिमांशु ,रोहित, मुकुल , विशु , प्रियांक ने कोयले के उपयोग और गुणवत्ता के विषय में जानकारी एकत्र की।
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