हापुड़। मोती कालोनी, सिंकदरगगेट इलाके में कॉलोनाइजर को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रख, अपने विवेक से ही पीसीसी पर 11 केवी की लाइन खिंचवा दी। तर्क यह दिया जा रहा है कि चार साल पहले लाइन बनाने में गड़बड़ी की गई थी। लेकिन ऊर्जा निगम के अधिकारी ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने के बजाए नियमों के विरूद्ध जाकर नई लाइन बना दी। उच्चाधिकारी भी इस मामले को दबाने में लगे हैं।
एचपीडीए से मानचित्र स्वीकृत किए बगैर ही ऊर्जा निगम के अधिकारी आसानी से कॉलोनियों का ऊर्जीकरण कर देते हैं। इससे निगम को राजस्व तो मिलता है, लेकिन सुरक्षा और सुविधा के मानकों पर ये कॉलोनियां कभी खरी नहीं उतरतीं। ऐसा ही एक मामला सिंकदरगेट इलाके में सामने आया है। यहां 11 केवी की लाइन पीसीसी पोल पर ही खींच दी गई, लाइन भी हाल फिलहाल में बनाई गई है।
मामला खुलने पर पहले अधिकारी पुरानी फाइलें खंगालते रहे, अब अपनी गलती छुपाने के लिए अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि करीब चार से पांच साल पहले इस इलाके में एसटीपी की लाइन को करीब सात पीसीसी पोल पर आगे बढ़ा दिया गया। इन सात पोल के बाद यदि फिर से स्टील के पोल लगाते तो लाइन ऊंची नीची हो जाती, इसलिए नई लाइन फिर से पीसीसी पोल पर बना दी गई। अब सवाल यह उठता है कि जब शहरी क्षेत्रों में हाईटेंशन लाइन को एसटीपी पोल पर बनाने का नियम है तो अधिकारियों ने पुराने फर्जीवाड़े की जांच
किए बगैर पीसीसी पोल पर आगे की लाइन कैसे बनवा दी।
करीब चार से पांच साल पहले इस क्षेत्र में लाइन बनायी गई थी, इसमें अनियमितता थी। हाईटेंशन लाइन पीसीसी पोल पर ही थी, जिसे आगे बढ़ाया गया। यदि एसटीपी पोल पर लाइन आगे बढ़ाते तो ऊंची नीची हो जाती। पूरे मामले की जानकारी की गई है। – मनोज कुमार, अधिशासी अभियंता