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अखिल भारतीय साहित्यालोक के तत्वावधान में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन,”जीवन में है संघर्ष अपना पैर जमाए रखिए, ईश्वर पर करें विश्वास अपना हौसला बनाए रखिए-डॉ.सुबोध गर्ग

हापुड़़(अमित अग्रवाल मुन्ना)।

अखिल भारतीय साहित्यालोक के तत्वावधान में यहां विज्ञान में महिलाओं एवं बालिकाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस एवं प्रेम दिवस के उपलक्ष्य में एक ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डा. अनिल बाजपेई ने की तथा संचालन गरिमा आर्य ने किया।
मुख्य अतिथि संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुबोध गर्ग ने पढ़ा,”जीवन में है संघर्ष अपना पैर जमाए रखिए, ईश्वर पर करें विश्वास अपना हौसला बनाए रखिए,”अति
विशिष्ट अतिथि राकेश माहेश्वरी ने कहा कि कवि एवं साहित्यकार अपनी कविताओं से जनजागृति करके समाज का मार्गदर्शन करते हैं। विशिष्ट अतिथि अजय बंसल ने कहा कवि साहित्यकारों का समाज के पथ प्रदर्शन में अनमोल योगदान होता है। सुप्रसिद्ध कवयित्री निवेदिता सक्सेना ने पढ़ा, “धरा विन व्याकुल है आकाश
अनत व्यथा और प्रेम अथाह पर सारे विफल प्रयास
धरा विन व्याकुल है आकाश” प्रख्यात कवि
डा. अनिल बाजपेई ने पढ़ा,” प्रेम भक्ति है,प्रेम शक्ति है,प्रेम तो भावों को अभिव्यक्ति है,प्रेम पूजा ,प्रार्थना, अरदास है,प्रेम तो एक सुखद अहसास है।
मंच संचालन करते हुए गरिमा आर्य ने पढ़ा,”कभी तेरी हसीं फुरसत मेरी फुरसत से मिल जाए
कभी समझे मेरी चाहत, मेरी किस्मत ही खिल जाए।
ज़माने भर ने ठुकराया, बस एक तूने ही समझा था। गीतकार मुकेश मीत ने पढ़ा,”पैरों तले की ज़मीं बनाए रखिओ रामजी।
आदमी को आदमी बनाए रखिओ रामजी।।
डा .आराधना बाजपेई ने पढ़ा,”अगर तुम प्यार करते हो,अगर इकरार करते हो,तो ऐसे प्यार तुम करना,तो यूं इकरार तुम करना,जैसे चांद ने चांदनी से किया है,जैसे राग ने रागिनी से किया है।
प्रमोद दीवाना ने पढ़ा,”एक अस्पताल के
एक ही बेड पर
एक ही मरीज
एक महीने के भीतर
जब चौथी बार मुझे मिला
उसे देखकर मर्री सातवी सेंस का …
डा मीनू वर्मा ने पढ़ा,”नारी ने पाया मतदान करने का हक-
कुछ समय पूर्व थी कुछ बंदिशे,
पर बहुत हुई अब सहिष्णुता,
मिलकर की अपने हक की लड़ाई,
और करके महासंग्राम अब आजादी है पायी।
मुक्ता शर्मा ने पढ़ा,”ख़्वाब से अब ज़रा जगने लगी हूँ जिंदगी को बेहतर समझने लगी हूँ।
उड़ती थी शायद कभी ऊँची हवा में, जमीं पर अब पैदल चलने लगी हूँ।
डा मीनू शर्मा ने पढ़ा,”प्रकृति का सुंदर रुप है ,नारी
सहनशीलता का स्वरूप है नारी l
नारी शक्ति स्वरूपा घर की ,
फूलों में खुशबू है नारी,अन्य कवियों ने भी!काव्य पाठ करके श्रोताओंको मंत्र मुग्ध कर दिया।
सुरेंद्र गुप्ता,प्रमोद गुप्ता की उपस्थिति प्रार्थनीय रही।

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