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सावित्री वट अमावस्या पर लाखों लोगों ने लगाई गंगा में डुबकी,सुहाग की रक्षा और दीर्घायु के लिए की वट वृक्ष की पूजा

हापुड़।

सावित्री वट अमावस्या पर शुक्रवार को गंगा स्नान करने के लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से लाखों श्रद्धालु गुरुवार शात से ही आना शुरू हो गए।

जानकारी के अनुसार
वट अमावस्या पर महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा और दीर्घायु के लिए गंगा स्नान के बाद वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इस दिन विभिन्न राज्यों से लाखों श्रद्धालु ब्रजघाट आकर गंगा में स्नान करते हैं। गंगा किनारे बैठे पंडितों से भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते हैं और मंदिरों में अपने इष्ट देवों के दर्शन करते हैं। गंगा स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तपिश भरी गर्मी में शीतल पेयजल के लिए प्याऊ और भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान जाम नहीं लगने देने के लिए पुलिस अधिकारियों ने कमर कस ली है।

थाना प्रभारी निरीक्षक सोमवीर सिंह व चौकी प्रभारी ने मय फोर्स के जाम ना लगनें के पुलिसकर्मी को आदेश दिए।

वट सावित्री व्रत की महिमा अपार हैं। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन व्रत करती हैं। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लेकर आई थी और उसी दिन से इस व्रत को किया जाने लगा। वट सावित्री व्रत विवाहित औरतों द्वारा किया जाता है। वट का मतलब बरगद का पेड़ है, जिसमे तीन देवताओं का वास होता है। जड़ में स्वयं ब्रह्मा रहते हैं, बीच में विष्णु विराजमान होते हैं और सबसे ऊपर शिव का राज होता है और बाकी लटकती हुई डालियों को स्वयं सती का रूप माना गया है। इसीलिए इस वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा की जाती है। जिससे सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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