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विश्व हिंदू परिषद् ने मनाया 57 वां स्थापना दिवस


हापुड़(अमित मुन्ना)।
विश्व हिन्दू परिषद का स्थापना दिवस का कार्यक्रम चैम्बर आफ कॉमर्स, राज महल वैंकट हाल, चंडी रोड ,हापुड़ पर आयोजित किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य व्यक्ता विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री माननीय वाई राघवल्लू ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर विश्व हिन्दू परिषद स्थापना के 57 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं एवम हिन्दू जीवनमूल्यों, परम्पराओं, मानबिन्दुओं के प्रति श्रद्धा रखने वाली विश्व के कल्याणार्थ” अजेय हिन्दू शक्ति” खड़ी करेंगे।
राघवल्लु जी ने बताया 70 लाख वर्षोँ में ईश्वर ने धर्म की स्थापना के लिए अलग अलग अलग युग मे अवतार लिए किन्तु कलियुग में संघ ही शक्ति है को आधार मान कर जो कार्य करेंगे उनका निश्चित ही यश करेंगे। इसी लिए कहा गया “संघे शक्ति कलियुगे”। इसी उद्देश्य हेतु विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना हुई। भाईसाहब ने कहा जहां हिन्दू अधिक है वहां धर्म को हानि नहीं होने देंगे ऐसा संकल्प हम सभी लेंगे तभी हिंदुत्व मजूबत स्थिति में खड़ा हो पाएगा और यह तब संभव होगा जब हम संपर्क पर बल देंगे। राघवल्लू जी ने हिन्दू पर अत्याचारों को भी सबके समक्ष रखा जिसमें भाईसाहब ने बताया की प्रत्येक वर्ष 1 लाख से अधिक गायों का वध किया जाता है, प्रत्येक वर्ष लाखों बहन बेटियों का अपहरण कर लिया जाता है। भारतवर्ष जिसका क्षेत्रफल 70 लाख वर्ग किमी था आज वर्तमान स्थिति में मात्र 32 लाख वर्ग किमी रह गया है, निरंतर धर्म पर आघात हो रहे हैं मुगल काल में 33,000 से अधिक मंदिरों को तोड़ा गया आज भी मंदिर तोड़े जा रहे हैं पुरोहितों की हत्याएं हो रही हैं आक्रमण हो रहे हैं पूर्व में जहां प्रत्येक परिवार में श्रीमद्भग्त, रामायण आदि ग्रंथों का पाठ होता था आज वह सीमित हो गया है। आवश्यकता है पुन: अपने संस्कारों की ओर लौटने की।
कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि डॉक्टर गोविंद जी ने विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना पर चर्चा की विश्व हिंदू परिषद की स्थापना 29 अगस्त 1964 में हुई। संगठन के संस्थापकों में स्वामी चिन्मयानंद जी,शिव राम शंकर आप्टे जी, मास्टर तारा हिंद जी,सतगुरु जगजीत सिंह,जयचम राजा बहादुर थे, जिसके लिये पहली बार 21 मई 1964 में मुंबई के संदीपनी साधनाशाला में एक सम्मेलन हुआ तथा अगस्त माह श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर संगठन की स्थापना की गई। विशेष आमंत्रित नेहल जी ने श्री कृष्ण के चरित्र का वर्णन किया जिसमें उन्होंने श्री के बाल्यकाल तथा सुदर्शन धारी स्वरूप को बताया तथा समाज में परिस्थिति के अनुसार दोनों स्वरूपों को धारण करने का आग्रह किया तथा बताया दोनों स्वरूप क्यों आवश्यक हैं नेहल जी ने श्री कृष्ण के संदर्भ में फैली अनेकों भ्रांतियों का खण्डन किया तथा बताया की क्यों धर्म को जानना आवश्यक है। श्री कृष्ण को योगेश्वर के रूप में क्यों जाना जाता है उस पर एक विस्तृत चर्चा नेहल जी ने की श्री कृष्ण ने कैसे बाल्यकाल से राक्षसों का वध किया कैसे धर्म की स्थापना की, रण भूमि में श्री कृष्ण का क्या योगदान रहा आदि विषयों पर एक तार्किक संबोधन नेहल जी ने रख समाज को धर्म की स्थापना के लिए श्री कृष्ण के चरित्र को स्वयं में उतारने की आवश्यकता पर बल दिया।
ज़िला अध्यक्ष सुधीर चोटी ने कहा कि हमारे पूर्वज प्रभु राम के आदर्शो पर चलकर अपने धर्म की रक्षा की अब हमको भी प्रभु राम के बताए मार्ग एवम भगवान कृष्ण के दिये गए उपदेशो पर चलकर धर्म व संस्कृति की रक्षा करनी होगी।
कार्यक्रम अध्यक्ष आनंद आर्य ने भी अपने विचार रखे। इन्होंने कहा कि भारत भूमि संतो की भूमि है हमारी करोड़ो वर्षो पुरानी संस्क़ति है जिसको धूमिल करने व खत्म करने के लिये एक षड्यंत्र रचा जा रहा है इस तरह के लोगो से सावधान रहकर किसी बहकावे में ना आकर जातिवाद में ना बटकर एकजुट होकर धर्म एवम देश को मजबूत बनाने में अपना सहयोग करे। अगर धर्म सुरक्षित रहेगा तो देश व समाज सुरक्षित रहेगा।

बैठक में उपस्थित प्रांतीय सत्संग प्रमुख मुनीश्वर , ज़िला उपाध्यक्ष मुकेश , ज़िला मंत्री रवीन्द्र,
ज़िला विद्यार्थि प्रमुख विकास, अशोक, अशोक आर्य, नगर अध्यक्ष अरुण अग्रवाल, नगर कार्यकारी अध्यक्ष आशुतोष रस्तोगी, नगर मंत्री योगेश भारती, नगर सयोंजक अभय, नगर सहमंत्री आर्चित, नगर उपाध्यक्ष ईश्वर, नगर खंड अध्यक्ष अंशुल, खंड अध्यक्ष ललित,न गर विद्यार्थी प्रमुख सूरज, मुकुल, हर्षित, अंकुर , अर्चक एवं पुरोहित प्रमुख पं. सर्वेश, नरेश, प्रवेश,प्रभात, संजय, सुधीर, मनोज,
प्रदीप, मोहित, उमेश, एवं अनेकों देव तुल्य कार्यकता तथा हापुड़ के गणमान्य बंधुओं एवं मातृशक्तियोंं की सहभागिता रही।

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