जांच करने गई स्वास्थ्य विभाग टीम का गोयना में किया घेराव

हापुड़। गोयना में मासूम की मौत के मामले में जांच करने पहुंची टीम को ग्रामीणों का आक्रोश झेलना पड़ा। टीम ने जांच में बताया कि सात माह के बच्चे को तीन टीके इंजेक्शन और दो ओरल वैक्सीन दी गई थी। टीकाकरण के करीब 12 घंटे बाद बच्चे की मौत हुई है, इसकी रिपोर्ट सीएमओ के माध्यम से शासन में भी भेजी गई है। ग्रामीणों में पनप रहे आक्रोश के चलते बृहस्पतिवार को टीम गांव में नहीं जा सकी।

गौरतलब है कि गोयना में दीपांशु के सात माह के बच्चे किट्टू की 10 जनवरी की रात मौत हो गई थी। परिजनों ने बच्चे को निमोनिया होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम पर टीकाकरण करने और एक टीका उसकी गर्दन में भी लगाने का आरोप लगाया था। मामला सीएमओ तक पहुंचा तो बुधवार शाम को उन्होंने टीम गांव में भेजी।

ग्रामीणों के आक्रोश का टीम को सामना करना पड़ा, जैसे तैसे कर टीम जांच कर वापस लौटी। बृहस्पतिवार को सीएमओ को रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि 10 जनवरी की दोपहर करीब 1 बजे बच्चे को पैंटा की दूसरी डोज, न्यूमोकोकल और एफआईपीवी की डोज इंजेक्शन से लगाई गई, वहीं रोटा और पोलियो की ड्रॉप मुंह से पिलाई गई। इन्हीं वॉयल से करीब चार बच्चों का भी टीकाकरण किया गया। वहीं, ग्रामीणों में पनप रहे आक्रोश के चलते बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव में नहीं जा सके।

सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया कि बच्चे की मां ही उसे टीकाकरण कराने लाई थी। बच्चे को टीकाकरण के बाद कोई समस्या नहीं हुई और न ही बच्चे को निमोनिया था। प्रयोग की गई वैक्सीन की एक्सपायरी डेट 31 जनवरी 2024 से 30 जून 2027 के मध्य की है। सभी वैक्सीन पूर्णतया प्रशिक्षित एएनएम के द्वारा शरीर के चिंहित स्थानों पर ही लगाई गई। जांच में बताया गया है कि बच्चे को चर्म रोग था, इस पर टीकाकरण का कोई प्रतिबंध नहीं है।

सपा ने ट्वीट कर, सरकार पर साधा निशाना

गोयना में बच्चे की मौत के मामले में समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने ट्वीट कर इस घटना को दुखद बता, सरकार पर निशाना साधा। ट्वीट में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, मानक विहीन व नकली दवाएं और इंजेक्शन सप्लाई किए जा रहे हैं, जिनके कारण मरीजों की मौत हो रही है।

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