जनपद में मनाया गया बर्ड फेस्टिवल तथा वर्ल्ड वेटलैंड दिवस,
वेटलैंड आर्द्रभूमि व्यक्ति की किडनी के समान है- भारत भूषण गर्ग , बूढ़ी गंगा के क्षेत्र को वेटलैंड के रूप में घोषित करने की मांग


हापुड़़ (अमित अग्रवाल मुन्ना)।

विश्व आद्रदिवस के अवसर पर वन विभाग गढ़मुक्तेश्वर के सौजन्य से कार्यक्रम का आयोजन आलमगीरपुर वन प्रभाग में किया गया, जहां 10 विद्यालयों के बच्चों ने कोरोनावायरस गाइडलाइन का पालन करते हुए सहभाग किया।

बर्ड फेस्टिवल तथा वर्ल्ड वेटलैंड दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम बच्चों को जंगल में घुमाते हुए पक्षियों के विषय में विस्तार से बताया गया तथा उन्हें नाव के द्वारा गंगा जी में घुमाया तथा साइबेरियन पक्षी सुर्खाब के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए उनको चुग्गे के रूप में मुरमुरे खिलाए गए तथा जंगल के पक्षियों को बाजरा दिया गया सी गुल पक्षी के विषय में विस्तार से बताते हुए एसडीओ गौतम सिंह जी ने बताया कि यह पक्षी समुद्र में जहाज के साथ-साथ हजारों किलोमीटर चलता है तथा जो खाना जहाज में बच जाता है उसी को जब समुद्र में गिराया जाता है वह उसको तथा मछलियों को खाकर अपना जीवन यापन करता है यह जिस जहाज के साथ चलता है उसी के साथ वापसी आता है हजारों हजार किलोमीटर की यात्रा यह उड़ते उड़ते पूरा कर देता है बीएससी की छात्रा ज्योति ने अपने अनुभव कथन में बताया कि अब वन विभाग हमें अच्छा लगने लगा है पहले यहां गंदगी का साम्राज्य था तथा पेड़ काटते थे तो कोई नहीं रोकता था लेकिन अब पेड़ लगाने पर तथा पशु पक्षियों के बचाने पर ध्यान रहता है। छोटी सी बच्ची निधि चौहान ने पक्षियों के ऊपर एक कविता भी सुनाएं फल खाए वृक्ष के …..।
ताप्ती भूषण ने वेटलैंड दिवस की जानकारी देते हुए बताया सर्वप्रथम वेटलैंड दिवस 1971 में रामसर में मनाया गया लेकिन विश्व स्तर पर सर्वप्रथम यह 2 फरवरी 1997 से प्रारंभ हुआ यह भूमि हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है यहां पक्षियों का जीवन पलता और बढ़ता है।
टाइगर गार्जियन भारत भूषण गर्ग ने बताया कि बृजघाट से लेकर नरोरा तक यह हमारी रामसर साइट है संपूर्ण विश्व में रामसर साइट का अपना एक महत्व है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए जाना जाता है बृजघाट से पुष्पावती पूठ तक प्रवासी पक्षी जिसे हम साइबेरियन के रूप में जानते हैं बहुतायत में यहां आता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां की यात्रा करते हैं रोजाना पूठ घाट पर अनेकों लोग इन पक्षियों को देखने के लिए आते हैं। उन्होंने वेटलैंड के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि वेटलैंड उस स्थान को कहते हैं जहां कुछ समय जल भरा रहता है कुछ समय दल दल रहता है यह वाटर रिचार्ज के रूप में भी जाना जाता है जिस प्रकार मानव को स्वस्थ रखने के लिए किडनी शरीर में महत्वपूर्ण स्थान रखती है ठीक उसी प्रकार पृथ्वी के वायुमंडल को ठीक रखने के लिए वेटलैंड विशिष्ट स्थान रखते हैं यह उथली भूमि पक्षियों के लिए जीवन रेखा का काम करती है इस विशेष अवसर पर सामूहिक रूप से बृजघाट से लेकर पुष्पावती पूठ तक बूढ़ी गंगा के क्षेत्र को वेटलैंड के रूप में घोषित करने की मांग की गई गंगा सेवक मूलचंद आर्य ने प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की बात करते हुए मानव जीवन में प्रकृति के महत्व को बताया।।
रेंजर गढ़मुक्तेश्वर राजेश कुमार ने सभी से सहयोग की अपेक्षा की तथा समय-समय पर प्रकृति के समीप समय व्यतीत करने की बात कहते हुए सभी का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर सूबेदार जगदीश सिंह चौहान, डायरेक्टर विनोद कुमार, वन दरोगा गौरव गर्ग ,अनुज जोशी, अरुण शर्मा, भूपेंद्र चौधरी ,मोहित कुमार ,कपिल, गार्गी भूषण, युक्ति भूषण ,यथार्थ गुलशन सोनू दयाचंद आदि मौजूद थे।

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