कोयल सबका मन हरती है,मीठी बोली बोलकर: प्रो.वागीश दिनकर

हापुड़।


गढ़मुक्तेश्वर के वेदांत ग्रुप ऑफ एजुकेशन में विश्व की 35 देशों में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य भारती के तत्वाधान में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवि प्रोफेसर वागीश दिनकर ने की।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी जगमाल यादव अतिविशिष्ट अतिथि जूडो कोच सुबोध यादव और विशिष्ट अतिथि 13 बार की राष्ट्रीय खिलाड़ी पूजा यादव रही।कार्यक्रम संयोजक कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी और धर्मेन्द्र काव्य ने संयुक्त संचालन किया।कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ वरिष्ठ कवयित्री बीना गोयल ने किया।
डॉ वागीश दिनकर ने पढ़ा कोयल सबका मन हरती है मीठी बोली बोल कर।तुम भी जग को वश में कर लो बोली में रस घोलकर।।डॉ सतीश वर्धन ने पढ़ा
मन ही मन बोली पत्नी पथराई आंखें लिए।नाथ ये बताओ कैसे जीवन मैं गुजारूंगी।जिलाध्यक्ष वरिष्ठ कवि दिनेश त्यागी ने पढ़ा
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,हिन्दू वैदिक वर्ष।ब्रह्मा जी रचना रचे, चहुं दिस पहले हर्ष।।वरिष्ठ कवि अशोक गोयल ने पढ़ा करें हम प्यार हिंदी में,करें तकरार हिंदी में
अगर कोई भूल हो तो, करें स्वीकार हिंदी में।वरिष्ठ कवि रामवीर आकाश ने पढ़ा मेरे गीत ढूंढते हैं तुम्हे झील के किनारे।मेरे दर्द मेरी आहें मेरे डूबते सितारे।।
कवि रामआसरे गोयल ने पढ़ा
शबरी की तरह व्याकुल थी जन जन की अभिलाषा।वरिष्ठ कवि विजय वत्स ने पढ़ा रस्में उल्फत को निभाते चलिए।दूरियां दिल की मिटाते चलिए।।वरिष्ठ कवयित्री वीना गोयल ने पढ़ा नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।।कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी ने पढ़ा शिक्षक हूं मै हर बच्चे के अंतस मै रहता हूं।सदाचार की खुशबू बनकर सांस सांस बहता हूं।।बेखौफ शायर डॉ नरेश सागर ने पढ़ा राजा जी से टकराने पर कैसे मुंह की खाई है।पप्पू भैया जी को देखो कैसी सामत अाई है।कवि अवनीत समर्थ ने पढ़ा बहुत कांटे बिछाएं है किसी ने रात में मेरी उसे मालूम है शायद मैं नंगे पांव चलता हूं।।कवि आशीष भारद्वाज ने पढ़ा कितने तुम्हारे सपन थे कितने हमारे सपन थे।कवि धर्मेन्द्र काव्य ने पढ़ा पहले जो थी बातें अपनी आज भी वो ही बातें हैं।कवि सौरभ राणा ने पढ़ा चाहें करे जितने जतन स्वयं के हितार्थ।कवि कपिल वीर सिंह ने पढ़ा मैं गंगा किनारे यूं अक्सर बैठ जाता हूं।कवि पुष्पेन्द्र पंकज ने पढ़ा ऐसा कुछ श्रम दान कर लें।कवि गंगाशरण शर्मा ने पढ़ा राजगुरु सुखदेव भगत सिंह फंदे चूमे फांसी के।कवि ओमपाल सिंह विकट ने पढ़ा कई साल के बाद हमारे घर पर आए मामा जी।
कार्यक्रम में कवि राजकुमार ने अतिथियों को पादप भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया साथ ही कवियों और खिलाड़ियों ने संस्था में पौधरोपण भी किया।इस मौके पर जूडो के राष्ट्रीय खिलाड़ी समाज सेवी विवेक शर्मा योगेन्द्र शर्मा प्रिंस के साथ दर्जनों लोग मौजूद रहे।

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