अरबों रुपये की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की जांच एसआईटी द्वारा
हापुड़। धौलाना में अरबों रुपयों की सरकारी भूमियों पर अवैध कब्जों के मामले में कार्रवाई की उम्मीद जगी है। भू माफियाओं में शामिल कुछ सफेदपोशों और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इन जमीनों को कब्जामुक्त नहीं किया गया था। जिसकी भाजपा के पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर ने शासन में शिकायत की थी। मामले में प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने एसआईटी का गठन किया है। मेरठ मंडलायुक्त की अध्यक्षता में राजस्व विभाग के सचिव व आईजी मेरठ पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे।
करीब दो माह पहले भाजपा के पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर ने धौलाना तहसील में अवैध कब्जों की शिकायत की थी। आरोप था कि भू माफिया अरबों की संपत्ति कब्जा कर रहे हैं और अधिकारी फाइलें दबाएं बैठे हैं। मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजते हुए उन्होंने बताया कि एक इंजीनियरिंग कॉलेज में 90 बीघा के फर्जी पट्टे हैं, यह जमीन छिजारसी की है। इनमें दो पट्टे 20-20 बीघा के गालंद निवासियों के और एक 30 बीघा का पट्टा खेेड़ा निवासी गाजियाबाद के नाम हैं, जो नियम विरूद्ध है। इसकी कोई भी पत्रावली तहसील में नहीं है। जिसमें अरबों रुपये का घोटाला किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि तीन महीने से इसकी फाइल जिलाधिकारी कार्यालय में है।
रमेश चंद तोमर ने बताया कि करीब एक अरब से अधिक की धौलाना ग्राम सभा में 40 बीघा एसएमसी की जमीन पर फर्जी पट्टे कर भूमाफियाओं द्वारा बेची गई है। ग्राम भोवापुर में रकबा 0.96936 हेक्टेयर राजस्व अभिलेखों में उषर दर्ज है, जिसे राजनीतिक लोगों की मदद से औद्योगिक प्लॉट काटकर बेचा जा रहा है। इसी तरह उन्होंने धौलाना तहसील के नौ मामलों पर अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर भूमाफियाओं द्वारा बेचे जाने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की थी।
जिसका संज्ञान लेते हुए सोमवार को यह आदेश जारी किए गए हैं। पत्र में पूरे मामले की अभिलेखीय, स्थलीय जांच कर आख्या एक माह में देने के लिए आदेश दिए गए हैं।
कई दिग्गज सफेदपोश के नाम शामिल
अरबों रुपये की इस जमीन को कब्जाने के मामले में जहां कई सफेदपोश के नाम सामने आते रहे हैं, वहीं कई अधिकारियों की भू-माफियाओं के साथ मिलीभगत भी उजागर हुई थी। सफेदपोश नेताओं के प्रभाव के कारण ही मामले में स्थानीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं की गई। पूर्व में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आने पर डीएम मेधा रूपम द्वारा स्थानीय अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया था। मामले में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भी लिखा गया था। बड़ी बात है कि इस मामले में लिप्त कुछ अधिकारियों के स्थानांतरण जिले से बाहर भी हो चुके हैं। अब देखना है कि एसआईटी की जांच के बाद किस किस पर गाज गिरती है।
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