अखिल भारतीय साहित्यालोक एवं आवासीय वृद्धाश्रम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन,कवि देश के सच्चे सेवक हैं-डॉ.सुबोध गर्ग,साहित्यकार,पत्रकार एवं कवि का समाज में योगदान अनमोल होता है-अमित शर्मा टोनी
हापुड़(अमित अग्रवाल मुन्ना)।
अखिल भारतीय साहित्यालोक एवं आवासीय वृद्धाश्रम के संयुक्त तत्वावधान में यहां दोयमी स्थित आवासीय वृद्धाश्रम में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि साहित्य लोक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुबोध गर्ग,विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमित शर्मा टोनी,उपाध्यक्ष सुनील गर्ग,महामंत्री मनीष गर्ग,सुनील गोयल,अशोक मित्तल,कृष्ण अवतार शर्मा,प्रमोद गुप्ता , रीतिका शर्मा ने दीप प्रज्वलन करके कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुबोध गर्ग ने कहा कि कवि देश के सच्चे सेवक हैं, वे समाज में व्याप्त विसंगतियों पर व्यंग्य के माध्यम से प्रहार कर समाज को सही मार्ग बताते हैं।
राष्ट्रीय व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष अमित शर्मा ने कहा साहित्यकार,पत्रकार एवं कवि का समाज में योगदान अनमोल होता है। उसे शब्दों में बांधा नही जा सकता।
मंच का संचालन करते हुए प्रख्यात कवि डा. अनिल बाजपेई ने पढ़ा, देखो दूर गगन में चंदा लगता कितना न्यारा है,पर मम्मी तेरा चेहरा उससे भी ज्यादा प्यारा है।
गाजियाबाद से पधारे डा. जय प्रकाश मिश्र ने पढ़ा,
चाहा था हवेली को विटोरा दे दिया तुमने।
छीन कर हाथ से सत्ता घिटोरा दे दिया तुमने।
बड़ी उम्मीद थी हमको किसानों की बगावत से।
पलटकर बाजियां फिर से कटोरा दे दिया तुमने।। गाजियाबाद की कवयित्री
गरिमा आर्य ने पढ़ा,
मेरे दिल में हिंदुस्तान
मेरी जान है हिंदुस्तान
बेखौफ हूँ मैं गर
करना पड़ जाए कुर्बान
अपना सिर और अपनी जान, पिलखुवा से पधारी
क्षमा शर्मा ने पढ़ा, मॉडर्न कितने भी हो जाओ मगर ये याद हो*
सबसे पहले धर्म का सम्मान होना चाहिए
दिल्ली से पधारी कवयित्री निधि भार्गव मानवी ने पढ़ा,
निधि की तरह पोंछ कर सब के आँसू,
कभी ज़िन्दगी को बसर कर तो देखो!!
मेरठ के कवि डा.प्रतीक गुप्ता ने पढ़ा,लड़खड़ा जाते हैं पाँव, चेहरे पर मुस्कान लाने में
यूँ खुद का बनाकर मज़ाक, लोगो को हँसाना आसान नही होता।
अलीगढ़ के कवि वेद प्रकाश म नि ने पढ़ा,”सिया – राम सा चरित्र मर्यादावान हो,
मात गंगा सा पवित्र करुणानिधान हो !
राधे – कृष्ण सा प्रेम, योगी बलवान हो;
ध्वज तिरंगे के साथ स्वर्ग प्रस्थान
मोदीनगर के कवि अवनीत समर्थ ने पढ़ा, कहीं है इश्क का मौसम कहीं बरसात गुजरी है ।
किसी की याद में रोकर हमारी रात गुजरी है
खता क्या है निगाहों की बरसती हैं ,
अध्यक्षता करते हुए हास्य कवि हुक्का बिजनौर ने पढ़ा,
मेने पत्नी से कहा तू मेरी जिंदगी है, वह मुस्कराई,मेने कहा लानत है ऐसी जिंदगी पर।
डा नरेश सागर एवं विकास विजय सिंह ने काव्य पाठ करके कवि सम्मेलन को ऊंचाई प्रदान की।वृद्धाश्रम
प्रबंधक रीतिका शर्मा ने सभी कवियों को प्रतीक चिन्ह भेंटकर समानित किया।
सुधीर जैन,मनोज शर्मा,मुदित,श्योदान डा शिव कुमार मनीष अग्रवाल,अशोक मित्तल,विनीत, अर्पित,कृष्ण अवतार शर्मा,सुनील गर्ग, अमित शर्मा , मनोज बाल्मीकि का सहयोग सराहनीय रहा।
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