लक्षण दिखने के बाद भी कई लोगों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आ रही नेगेटिव, ये है इसका कारण
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus second wave) की रफ्तार भारत में कम होने का नाम नहीं ले रही. बीते 24 घंटों की बात करें तो भारत में 16 से 17 अप्रैल के बीच 2 लाख 33 हजार से ज्यादा नए संक्रमित मरीजों के मामले सामने आए हैं और 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोविड-19 की इस तेज रफ्तार के लिए जिम्मेदार है कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन (Coronavirus new strain) जो हद से ज्यादा संक्रामक है और संक्रमित मरीज के संपर्क में केवल 1 मिनट रहने से ही दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो रहा है.
टेस्ट की पकड़ में नहीं आ रहा वायरस
इसके अलावा एक और खतरनाक और चिंता करने वाली बात जो सामने आयी है वो ये है कि कोरोना वायरस का ये नया स्ट्रेन कोरोना संक्रमण की जांच के लिए इस्तेमाल हो रहे आरटी-पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) की भी पकड़ में नहीं आ रहा है. ऐसे कई मामले रोजाना सामने आ रहे हैं जिसमें संक्रमित व्यक्ति के सारे लक्षण कोरोना के ही हैं, लेकिन उसकी आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ रही है (Despite symptoms report is negative). कुछ मामलों में तो दो-तीन बार टेस्ट करवाने के बाद भी वायरस पकड़ में नहीं आ रहा और टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव ही आ रही है जबकि वह मरीज कोरोना पॉजिटिव है.
ये भी पढ़ें- हापुड़ जनपद में शनिवार रात 8 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक रहेगा कोरोना कर्फ्यू-जिलाधिकारी
रिपोर्ट निगेटिव आए तब भी लापरवाही न करें
ऐसे कई मरीज सामने आ रहे हैं जिनमें बुखार, खांसी, सांस फूलने और फेफड़ों में संक्रमण जैसी दिक्कतें थीं लेकिन उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आयी. डॉक्टरों की मानें तो अगर लक्षण हैं और रिपोर्ट निगेटिव आती है तब भी लापरवाही न करें और तत्काल डॉक्टरों की सलाह पर दवा लें. साथ ही ऐसे लोगों को डॉक्टर चेस्ट सीटी स्कैन (Chest CT-Scan) कराने की सलाह दे रहे हैं. अगर उनके फेफड़ों में हल्के हरे या भूरे रंग के पैच दिखते हैं तो ये कोविड-19 का एक विशिष्ट लक्षण है.
ये भी पढ़ें- ये आसान सा प्राणायाम कोरोना महामारी से लड़ने में करेगा आपकी मदद, बस ऐसे अपनाएं
ये है रिपोर्ट नेगेटिव आने का कारण
डॉक्टरों की मानें तो जिन रोगियों में लक्षण दिखने के बाद भी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ रही है हो सकता है कि ऐसे मरीजों के शरीर में कोरोना वायरस ने नाक या गले को नुकसान नहीं पहुंचाया हो. यही वजह है कि इन जगहों से लिए गए स्वैब सैंपल में वायरस की पुष्टि नहीं हुई और रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आयी. ऐसे मरीजों से संक्रमण और फैल सकता है और इनके इलाज में देरी भी हो सकती है.
6 Comments