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मां कान्हा की बांसुरी से निकला संगीत:डा.अनिल


-काव्य संध्या में कवियों ने रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
हापुड़।
लिटिल जेम्स स्कूल के डायरेक्टर अखिलेश अग्रवाल के संयोजन व हिंदी
साहित्य परिषद के तत्वावधान में यहां काव्य संध्या का आयोजन किया गया।
जिसमें कवियों ने रचनाएं प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
     संस्था के मंत्री व सुप्रसिद्ध गीत गजलकार प्रेम निर्मल ने पढ़ा,लाख करे साजिश कोई,कितने करे बवाल,निर्मल झुक सकता नहीं।
गीतकार महावीर वर्मा ने पढ़ा-मानव की दो नेमतें,वाणी और मुस्कान,इनका सद उपयोग ही मानव की पहचान।
कवि डा.अनिल बाजपेई ने मां शारदे की वंदना के पश्चात पढ़ा-मां कान्हा की बांसुरी से निकला संगीत, मां ओम है व्योम में।
शायरा शहवार ने पढ़ा-बना के एटमी तलवार क्या समझते हो,मिटा के दुनियां को
क्या समझते हो, बेखौफ शायर।
डा.नरेश सागर ने पढ़ा-हिंदी के सम्मान में,पूरा हिंदुस्तान,हिंदी में
बातें करें,बढ़ जाए सम्मान।
डा पुष्पा गर्ग ने पढ़ा-हिंदी ना जाने जात पांत,न  कोई मजहब
भेदभाव,हिंदुस्तान की भाषा हिन्दी कहलाती है।
डा.अशोक मैत्रेय ने पढ़ा-रिश्ते घायल हो रहे,टूट रहे अनुबंध,संवादों की
सुई से रफू करें संबंध।
महेश वर्मा ने पढ़ा-पेश आना जरा नजाकत से दर्द ए तोहमत से टूट जाता
है,आइना आशना नहीं होता,ये महज सच को सच दिखाता है।
उमेश शर्मा ने पढ़ा- देखा उसकी गलियारों में,गली मोहल्ले चौबारे में,कभी
सडक़ पर उसको पाया,श्याम वर्ण मैली सी काया। कार्यक्रम का अध्यक्षता
डा.अशोक मैत्रेय व संचालन डा.अनिल वाजपेयी ने किया।

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