पर्यावरण संरक्षण को लेकर गूढ़ जनचेतना विक सित हो – कृष्णकांत
हापुड़(अमित अग्रवाल मुन्ना)।
पर्यावरण संरक्षण दिवस के अवसर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य कृष्णकांत सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर जितनी गूढ़ और सूक्ष्म जनचेतना जन समुदाय में विकसित होनी चाहिए तमाम प्रयासों के बाद भी यह ऊँट के मुँह में जीरे जितना हैः
उन्होंने कहा कि इस अवसर पर किए जाने वाले वृक्षारोपण जैसे अभियान अधिकांशतः सांकेतिक अधिक हैं इनमे प्रतिबद्धता और श्रद्धा का आभाव रहता है क्योंकि बाद में इनकी परवरिश की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता. पर्यावरण संरक्षण के अभियान केवल सरकारी रस्म अदायगी अथवा उत्सव न बनकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रभावी असर पैदा करने वाले अभियान बने. यह तभी संभव है कि ज़ब पूरे वर्ष जनजागरूकता के अभियान चलें इस दिशा में पश्चिम उत्तर प्रदेश के पर्यावरण प्रहरियों की मुहिम ने यहाँ की लोकचेतना पर असरदार तथा व्यापक प्रभाव डाला है.
बारिश के दिनों में सरकार की होड़ पिछले वर्ष के वृक्षारोपण के रिकॉर्ड को तोड़ने की रहती है, विगत वर्ष भी उप्र सरकार का लक्ष्य 30 करोड़ पौधे लगाने का था. लेकिन विगत वर्ष या उससे पूर्व लगाए गए पौधों की वास्तविक स्थिति की जानकारी वन विभाग या अन्य किसी सरकारी महकमे के पास है क्या ? पौधे चाहें कम लगे लेकिन उनका संरक्षण आवश्यक है. इसके लिए बेहतर है कि लोगो को उनके घरों अथवा खेतोँ में लगाने के लिए पौधे दिए जाएं. विगत वर्षों में सड़को के किनारे लगे 80% पौधों को तो आवारा पशुओ ने ही नेस्तनाबूत कर दिया.
इसलिए सरकारी, पंचायती परिसम्पत्तियो के साथ साथ निजी संस्थानों तथा नदी नालों के किनारो पर पौधरोपण करना ठीक रहेगा, साथ ही देखरेख का उत्तरदायित्व तथा जवाबदेही भी निश्चित होनी चाहिए तभी सही मायनों में आने वाले समय की पर्यावरणीय चुनौतियों की तैयारियां परवान चढ़ सकेंगी अन्यथा देश और दुनिया के हालात हम सबके सामने हैं..
कृष्णकांत सिंह
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