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धमनियों में रक्त की आवाज वंदेमातरम्, देश हित जो कर सकूं वो काज वंदेमातरम- विष्णु सक्सेना,राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित

नयी दिल्ली/हापुड़़।
हिंदी अकादमी कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग, दिल्ली द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल-किला राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन वर्चुअल/ऑनलाइन किया गया । जो वरिष्ठ कवि एवं गीतकार विष्णु सक्सेना की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
कवि राजीव राज के सफल संचालन में भारत के विभिन्न स्थानों से कवि,कवयित्रियों द्वारा कवि-सम्मेलन में अपनी-अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी गई। जिनमें अनित्य नारायण मिश्र, अमन अक्षर, डॉ. कीर्ति काले, भुवनेश सिंघल, राजीव राज व शहनाज हिन्दुस्तानी द्वारा काव्य-पाठ किया गया।
कवि-सम्मेलन की प्रस्तावना में अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट जी ने कहा कि ‘‘आजादी मिलते ही लाल किला पर राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन आयोजित होता रहा है। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के इस अमृत महोत्सव वर्ष में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का आयोजन विगत वर्षों में लाल किले पर किया जाता रहा है। चूंकि इस ऐतिहासिक कवि-सम्मेलन का अपना महत्त्व है जिसके लिए सभी दर्शकों/श्रोताओं द्वारा इसके बारे में पूछा जाता रहा। इसकी महत्ता को बनाए रखने के लिए कोरोना काल में इस वैश्विक महामारी के सुरक्षा कारणों के मद्देनजर इस वर्ष राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का आयोजन वर्चुअल किया जा रहा है।’’
सम्मेलन के प्रारंभ में तत्कार परफोर्मिंग आर्ट्स के निदेशक जितेन्द्र सिंह ने अकादमी गीत और देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया। कवियों में अनित्य नारायण मिश्र ने राष्ट्र सेवा में जीवन लगाना हमें, आज से कल को बेहतर बनाना हमें

अमर अक्षर ने हमको इतना सा दान देना बस, आप पर जान हम देने आए हैं हमपे थोड़ा सा ध्यान देना बस

डॉ. कीर्ति काले ने कहा भारत के वासी हम हिंद के निवासी हम, अपने वतन पर अभिमान है, रानी झांसी, महाराणा, छत्रसाल जहां ऐसी शस्य, श्यामला धरती तो मान है भुवनेश सिंघल ने युवाओं थामकर झंडा विश्व में फिर से फहरा दो, विवेकी बनके जागो तुम विवेकनंद हो जाओ

कवि राजीव राज ने कहा कि इक देश नहीं परिवेश नहीं, हूँ रंच भर क्लेश नहीं, मैं सीमाओं में बँधा कोई, पृथ्वी का अंश विशेष नहींशहनाज हिंदुस्तानी ने शहीदों का स्मरण कर नाज मुझे खुद पर हो रहा आज पिया, मेरा ये सिंदुर भारती के काम आया है/ अन्य कवियों ने भी अपनी-अपनी कविताओं से सुधी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाली देशभक्ति की कविताएं सुनाई। कवि-सम्मेलन के लिए सुप्रसिद्ध गीतकार विष्णु सक्सेना ने ओज कविता धमनियों में रक्त की आवाज वंदे मातरम् देश हित जो कर सकूं वो काज वन्दे मातरम्। अभिमान भी है राष्ट्र के गणतंत्र पर, है अटल विश्वास मुझको एकता के मंत्र पर इन पंक्तियों के साथ कविता पाठ किया व अध्यक्षीय भाषण दिया।

अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा कि कविता जिजीविषा की चेतना है और समाज की निराशा को दूर करती है, अकादमी इस प्रकार के प्रयास जारी रखेगी।कवि-सम्मेलन के समापन पर हिंदी अकादमी के उप-सचिव ऋषि कुमार शर्मा ने कहा कि कविता हर मानव के अंदर विद्यमान होती है परन्तु कवि उसे शब्द और स्वर देकर उसकी भावनाओं को जाग्रत कर आनन्द प्रदान कर देता है। यही एक कवि की विशेषता है। सभी अतिथियों व कवियों का कोरोना काल में भी वे इस कवि-सम्मेलन में उपस्थित होने की सहमति प्रदान करने के लिए धन्यवाद किया।

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