fbpx
ATMS College of Education Menmoms Global Inc
AstrologyHapurHealthLife StyleNewsUttar Pradesh

लगातार ठंड और बदलते मौसम में ऐसे रह सकते हैं बीमारियों से दूर

 लगातार ठंड और बदलते मौसम में ऐसे रह सकते हैं बीमारियों से दूर

लाइफस्टाइल

इस मौसम में निरंतर बनी रहने वाली खांसी व वायरल बुखार के मामले चर्चा में हैं। जिन्हें सांस की बीमारी या अस्थमा पहले से है वे अधिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं। हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाने के कारण बुजुर्गों और बच्चों में अस्थमा या सांस से जुड़ी समस्याएं अपेक्षाकृत अधिक देखने में आ रही है। हालांकि, किसी भी उम्र के अस्थमा के मरीज हैं, तो उन्हें अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। समस्या बढ़ रही है तो तुरंत अच्छे चिकित्सक से संपर्क कर लेना चाहिए। अलग हमेशा रहने वाला (पेरेनियल) या सीजनल यानी मौसम में बदलाव के कारण होने वाला अस्थमा है, तो कुछ सावधानियां बरतने जैसे कि खानपान और जीवनशैली में सुधार कर इससे बचाव किया जा सकता है।

जोखिम कम करने के लिए क्या करें

अगर किसी मरीज के हृदय की पम्पिंग कमजोर है, तो उसे सांस की तकलीफ होती है। अस्थमा में भी सांस लेने में कठिनाई होती है। ऐसे में एक भी लक्षण होने पर अधिकतर लोग हृदय की परेशानी के बजाय उस लक्षण को अस्थमा मान लेते हैं। यह एक बड़ा जोखिम उत्पन्न कर सकता है। यह आवश्यक है कि सांस की तकलीफ होने पर चिकित्सक से संपर्क करें और जरूरी उपचार उपायों को तुरंत शुरू कर दें। कोई भी चिकित्सक फोन या वीडियो काल पर सही से परीक्षण नहीं कर सकता। मरीज को निकट से देखने के बाद ही यह पता लगाया जा सकता है कि सांस की वह दिक्कत अस्थमा के कारण है या हृदय से जुड़ा कोई खतरा बढ़ रहा है।

प्रदूषण को लेकर बढ़ाएं सतर्कता

फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह ऑक्सीजन प्राप्त करने का माध्यम है। ऐसे में अगर हम लगातार प्रदूषित हवा के संपर्क में बने रहते हैं, तो उसका दुष्प्रभाव शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है। बच्चों के फेफड़े की क्षमता उम्र के साथ बढ़ती है। अगर प्रदूषणयुक्त वातावरण में छोटे बच्चे रह रहे हैं, तो आगे चलकर उन्हें फेफड़े या हृदय से जुड़ी समस्या होने की आशंका अधिक रहती है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • फेफड़ों की मजबूती के लिए नियमित योगाभ्यास करें। गहरी सांस लेना व अनुलोम-विलोम फेफड़े की सेहत के लिए कारगर है।
  • नियमित टहलने, दौड़ने या तैराकी करने से फेफड़े को स्वस्थ रखने में अधिक मदद मिलती है।
  • अपनी जीवनशैली को शिथिल बनाने के बजाय सक्रिए बनाएं। वजन नियंत्रित रखने के लिए खानपान को संतुलित रखें। मोटापा बढ़ने से सांस की तकलीफ भी बढ़ती है।
  • मौसमी अस्थमा है यानी आप बदलते मौसम में सांस की तकलीफ से परेशान हो जाते हैं तो उस अवधि में नियमित दवा की खुराक बढ़ा दें। हालांकि ऐसा चिकित्सकीय परामर्श से ही करें।
  • तकलीफ से बचने और इसे बढ़ने से रोकने के लिए न्यूमोनिया और फ्लू की वैक्सीन एक बेहतर उपाय है।
  • दिल की बीमारी के प्रति जितनी सजगता होती है, उतनी फेफड़े संबंधी परेशानी को लोग महत्व नहीं देते
jmc
jmc

JMS World School Radhey Krishna Caters
Show More

Leave a Reply

Back to top button

You cannot copy content of this page