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वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ते खतरों से ऐसे रखें बच्चों को दूर

वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ते खतरों से ऐसे रखें बच्चों को दूर

लाइफस्टाइल 

वायु प्रदूषण सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बनते जा रहा है। इससे बड़े-बूढ़े ही नहीं बच्चे भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। उनकी ग्रोथ पर असर पड़ रहा है और तो और इसके चलते वो बचपन में ही कई और दूसरी बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं। वायु प्रदूषण के प्रति बच्चों की संवेदनशीलता कई कारणों से पैदा हो सकती है। उनके वायुमार्ग छोटे और कम विकसित होते हैं, जिससे वे हानिकारक प्रदूषकों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। इसके अलावा, बच्चे बड़ों की तुलना में ज्यादा तेजी से सांस लेते हैं, जिससे उनके द्वारा ली जाने वाली हवा की मात्रा और उनके संपर्क में आने वाले प्रदूषकों की मात्रा बढ़ जाती है। उनका डेवलप हो रहा इम्यून सिस्टम भी कम मजबूत होता है, जिससे उनमें ब्रीदिंग इन्फेक्शन और वायु प्रदूषण से जुड़ी अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स होने का खतरा ज्यादा होता है।

बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए ध्यान रखें ये बातें

1. बच्चों की बाहरी एक्टिविटीज थोड़ी कम कर दें या फिर ऐसा टाइम चुनें, जब वायु प्रदूषण का स्तर कम हो, जैसे शाम को।

2. व्यायाम करने या बाहर खेलने के लिए ऐसी जगहों को चुनें, जहांं गाड़ियों की आवाजाही कम हो।

3. घर के अंदर की हवा को भी साफ और स्वच्छ बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं। साथ ही उन इंडोर प्लांट्स को भी जगह दें, जो घर के अंदर की हवा को स्वच्छ बनाने में योगदान देते हैं।

4. तेज धूप हो, तो घर की खिड़कियां और दरवाजे कुछ देर खोलकर रखें। इससे घर में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं का खात्मा होता है।

5. घर के अंदर धूम्रपान करना पूरी तरह से अवॉयड करें।

6. हेल्दी लाइफस्टाइल को बढ़ावा दें। रोजाना एक्सरसाइज करें। बाहर बहुत ज्यादा प्रदूषण है, तो घर के अंदर ही स्ट्रेचिंग, वेट ट्रेनिंग करें। फिजिकल एक्टिविटीज श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाती है और ओवरऑल हेल्थ को सुधारती है।

7. इन सबके अलावा बैलेंस डाइट पर फोकस करें। फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर डाइट में शरीर के लिए कई जरूरी न्यूट्रिशन होते हैं, जो सासं से जुड़ी समस्याओं को दूर रखने में योगदान देते हैं।

8. बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए ये सारी प्लानिंग बहुत जरूरी है। इन चीज़ों पर ध्यान देकर प्रदूषण भरे माहौल से उन्हें काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

(डॉ अनामिका दुबे, वरिष्ठ सलाहकार, एमबीबीएस एमडी बाल रोग, मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल से बातचीत पर आधारित)

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