आंतकवादी गतिविधियों के लिए पहलें भी बदनाम रह चुका है हापुड़
हापुड़।
पापड़ व गुड़ गल्ला मंडी के लिए पूरी दुनिया में विख्यात हापुड़ नगरी आतंकी गतिविधियों के लिए भी बदनाम हो चुकी है। समय समय पर यहां आंतकियों की गिरफ्तारी से हापुड़ विश्वभर में चर्चाओं का केन्द्र रहा हैं। एक और मामला सामने आने के बाद जिला खुफिया एजेंसियों के रडार है। जिले का पुलिस प्रशासन भी इसे लेकर सतर्क हो गया है।
प्रमुख आंतकी की गिरफ्तारी की घटनाएं
19 जनवरी 1994 को पिलखुवा के मोहल्ला अशोक नगर में की लश्कर ए तैयबा के दुर्दांत आतंकी अब्दुल करीब टुंडा की तलाश में आई थी।
1994 में विदेशी के अपहरण में मसूरी में हुई आतंकवादियों से मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ध्रुव लाल यादव शहीद हो गए थे और आंतकी का कार ड्राइवर हापुड़ के आवास विकास कालोनी निवासी था।
7 जून, 2020 को खालिस्तानी आतंकियों को हथियार सप्लाई करने वाला जावेद को यूपी एटीएस ने हापुड़ से गिरफ्तार किया था।
26 दिसंबर 2020 को भी सिम्भावली के वैट में टैरर फेंडिंग के मामले में मदरसे से साकिब को गिरफ्तार किया गया था।
30 अप्रैल 2001-पाकिस्तान से प्रशिक्षित हरकत-उल-अंसार से जुडे़ आतंकी को हापुड़ के एक मदरसे से पकड़ा गया।
22 मार्च 2002-हापुड़ के फ्री गंज रोड़ से लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकी पकड़े गए तथा देश का पहला पोटा का मुकदमा भी हापुड़ कोतवाली में दर्ज किया गया था।
28 नवंबर 2011 की शाम 7.28 बजे पाकिस्तान के बार्डर पर सेना के आईटी विशेषज्ञों ने एक सेटेलाइट फोन को ट्रेस किया था। बड़ी बात थी कि इसकी लोकेशन हापुड़ मुख्यालय से साउथ ईस्ट दिशा में 19 किलोमीटर दूर मिली थी।
14 जनवरी 2012 को भी सेटेलाइट फोन की लोकेशन बुलंदशहर, हापुड़ और मेरठ के रास्ते पर मिली थी।
6 जून 2018 को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नाम से हापुड़ समेत 14 रेलवे स्टेशनों को 6 जून को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी।
लश्कर ए तैयबा के अमेरिका निवासी आतंकी डेविड हेडली
का साथी तहव्वुर राणा अपनी बीवी समराज राणा के साथ 13 नवंबर 2008 को पहले मेरठ के शकूर नगर और इसके बाद हापुड़ के मोहल्ला मजीदपुरा आकर रुका था।
14 नवम्बर 2023 को
पिलखुवा में वेल्डिंग का काम करने वाले रियाजुद्दीन निवासी फरीदपुर भोजपुर गाजियाबाद के खाते में पाकिस्तान से 70 लाख ट्रांसफर हुए।