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चूहें तक मनमानी करते जब केहरी पड़ा सोता है — प्रो. वागीश दिनकर

हापुड़ (यर्थाथ अग्रवाल मुन्ना)।
अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य भारती जनपद हापुड़ के तत्वावधान में प्रेमवती मारवाड़ इंटर कॉलेज पिलखुवा में प्रदेश अध्यक्ष प्रो. वागीश दिनकर के सौजन्य से मासिक कार्यशाला /काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि डा. अशोक मैत्रेय के सानिध्य में किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि राज चैतन्य राज ने तथा संचालन जिलाध्यक्ष दिनेश त्यागी ने किया!काव्य गोष्ठी का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर प्रचारक एवं प्रसिद्ध समाज सेवी श्री विपिन अग्रवाल जी ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवल्लित कर किया!सरस्वती वंदना प्रो. वागीश दिनकर ने पढ़ी उन्होंने पढ़ा –ध्यान रखो बलहीन व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता है!चूहें तक मनमानी करते जब केहरी पड़ा सोता है!! वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि डा. अशोक मैत्रेय ने पढ़ा –कंधे पर सबके दिखे, जहर बुझे अब तीर!किन राहों पर चल पड़े, राजा रंक फ़क़ीर!!कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं प्रख्यात समीक्षक राज चैतन्य ने पढ़ा –हर किसी को अंतर्मन की बात बोलना ठीक नहीं!हर दस्तक पर अपने घर का द्वार खोलना ठीक नहीं!!कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि दिनेश त्यागी ने पढ़ा –थूक लगाकर बेचते, खाने का सामान!बैरी हैँ वो देश के, शठ पापी शैतान!!प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य वरिष्ठ कवि डा. सतीश वर्धन ने पढ़ा –मदमस्त महीना सावन का कलियों ने ली अंगड़ाई है!मकरंद चूसने को व्याकुल भंवरों पर मस्ती छाई है!!प्रदेश कोषाध्यक्ष वरिष्ठ कवि राजीव गोयल ने पढ़ा –बनावट से बिखर जाते हैँ रिश्ते, बनावट से निखर जाते हैँ रिश्ते!लगाकर प्यार और रिश्तों के पौधे, नहीं सींचो तो मर जाते हैं पौधे!!जिला संरक्षक वरिष्ठ कवि अशोक गोयल ने पढ़ा –हर व्यक्ति झूल सकता है फूलों की सेज पर, पर कौन झूल सकता है शूलों की सेज पर!बनना कमल है तो बनो गुलाब की तरह, जो मुस्कुराते हैं सदा शूलों की सेज पर!!वरिष्ठ कवि एवं गीतकार रामबीर आकाश ने पढ़ा –देश भक्ति का मंथन, सबको मिलकर करना होगा!चौराहे पर देश खड़ा, हर कदम संभल संभल धरना होगा!!वरिष्ठ जिलाउपाध्यक्ष कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी ने पढ़ा –खूब चुराई पंक्तियाँ, करते रहे धमाल!पुस्तक छपवाने गए, मिस्टर चोरी लाल!!वरिष्ठ कवयित्री बीना गोयल ने पढ़ा –खिलते हैँ दिलों में फूल सनम सावन के सुहाने मौसम में!होती हैं सभी से भूल सनम सावन के सुहाने मौसम में!!वरिष्ठ कवि संगठन महामंत्री ओमपाल सिंह विकट ने पढ़ा –सावन मास में जाकर मानव काँवड़ लेकर आते हैँ!शिव पर जल को अर्पित करते भोले स्वयं कहाते हैँ!!वरिष्ठ कवि गंगाशरण शर्मा ने पढ़ा –कारगिल की घटना को जब याद दिलाते हैँ, पत्थर भी रो रो कर आंसू टपकाते हैँ!!वरिष्ठ कवि पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ा –जिंदगी अपनी करनी सह रही हैं, एक नीरस सी कहानी कह रही है!लोग क्यों मौन सहमें से खड़े हैँ, हवा यह किस दिशा में बह रही है!!वरिष्ठ कवि अशोक प्रयासी ने पढ़ा –जगत इक सपना है सपना जगत इक सपना है सपना!आँख खुले पर मिट जाता है ये अपना सपना!!कवि धर्मेन्द्र काव्य ने पढ़ा –पहले जो थी बातें अपनी, आज भी वो ही बातें हैँ!इतिहासों के पन्नों पर हम शूरवीर कहलाते हैं!!इस अवसर पर आशीष भारद्वाज, प्रभात कुमार प्रभात, तरुण त्यागी, सौरभ राणा, प्रशान्त कुमार, कपिल वीर सिंह, दिव्यांश दिव्य, सचिन सागर आदि रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाओं से खूब तालियां बँटोरी!

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