fbpx
ATMS College of Education
BreakingHapurNews

प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करती शिक्षिका कंचन कूड़ा चुगने वाले बच्चों को रेलवे पार्क में फ्री पढ़ाती है 5 वर्षों से गरीब बच्चों को बैलून व चॉकलेट देकर होती है उनकी खुशी में शरी

प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करती शिक्षिका कंचन

कूड़ा चुगने वाले बच्चों को रेलवे पार्क में फ्री पढ़ाती है

5 वर्षों से गरीब बच्चों को बैलून व चॉकलेट देकर होती है उनकी खुशी में शरीक

विजय शर्मा

हापुड़

हापुड़ 25 (तरुण मित्र) किसी शायर ने खूब लिखा है, कि कांटे भी हैं, चुभन भी,रास्ता भी पथरीला है, मगर क्या करें गालिब आदत सी जो हो गई है। इसी रास्ते पर हापुड़ के मोहल्ला नवीन मंडी की रहने वाली कंचन सिंह चल पड़ी है। जिन्होंने शिक्षा ग्रहण करते-करते गरीब बच्चों को बैलून व चॉकलेट देकर उनकी खुशी में शरीक होना शुरू कर दिया फिर क्या था उनके जीवन का पथरीला रास्ता शुरू हो गया जिसमे काँटे भी थे, चुभन भी थी परंतु वह यही नही रुकी। एक दिन पढ़ते पढ़ते उनके मन में ख्याल आया क्यों ना मैं गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दू। इसकी शुरुआत उन्होंने रेलवे पार्क के पास बनी बस्ती में जाकर की जहाँ उन्हें दो बच्चे ऐसे मिले जिन्होंने उनसे पढ़ने की इच्छा जाहिर की बच्चों की जिज्ञासा देखते हुए उन्होंने दोनों बच्चों को रेलवे पार्क में पढ़ाना प्रारंभ कर दिया धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी आज करीब एक महीने में उनके पास 25 से 30 बच्चे हैं जिन्हें कंचन सिंह के अलावा अन्य शिक्षिका खुशबू व हिमांशी पढ़ाती है। अब उनके पास बच्चे तो आने लगे परंतु उनके पास किताब, कॉपी व अन्य सामान की व्यवस्था नहीं थी तभी पार्क में घूम रहे एक बुजुर्ग व्यक्ति ने यह सब देखा और उन्होंने पढ़ने वाले बच्चों को किताब कॉपी व अन्य सामान की व्यवस्था कराई। कंचन का हौसला और बढ़ गया। कंचन दिन रात इन बच्चों के बारे में सोचने लगी बस फिर क्या था।

समाज के तानों से पहुंची डिप्रेशन में मगर इरादे कमजोर नहीं हुए

समाज,परिवार व गली मोहल्ले में रहने वाले लोग उन्हें तरह-तरह के ताने देने लगे जिससे वह डिप्रेशन में पहुंच गई मगर उनके इरादे कम नहीं हुए उन्होंने डिप्रेशन को चुनौती देते हुए फिर एक बार इस डगर पर लौटते हुए बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ कर दिया। शिक्षिका कंचन ने बताया कि मेरा सपना है मैं बड़े होकर एक वृद्ध आश्रम खोलू जहां मैं उन बूढ़े माता-पिता की सेवा कर सकू जो अपने पुत्र के रहते हुए भी सेवा से वंचित रह जाते हैं। कंचन सिंह ने अभी तक बीए० बीएड तक शिक्षा हासिल की है। उनके पिता निरंजन सिंह फौज में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं। जबकि उनकी माता सुमन देवी गृहणी है उनके भाई विशाल सिंह एक प्राइवेट हॉस्पिटल में सर्विस करते हैं। उनकी बहन संध्या सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में लखनऊ के महिला थाने में बतौर कांस्टेबल के पद पर तैनात है। कंचन सिंह से आगे के भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं पुलिस में सब इंस्पेक्टर बनना चाहती हूं ताकि समाज व ऐसे गरीब बच्चों की मदद कर सकूं जिन्हें पढ़ाने वाला कोई नही है। यही मेरा सपना है। इन्ही सपनो के साथ शिक्षाका कंचन देश के प्रधानमंत्री की उस अपील को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है जिसमे प्रधानमंत्री कहते है इस समाज मे सभी धर्म व वर्ग के लोग शिक्षित बने तभी हमारा देश उन्नति करेगा

Menmoms Sajal Telecom JMS Group of Institutions
Show More

Leave a Reply

Back to top button

You cannot copy content of this page