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मेडिकल व्यापारी ने लगाया नगर पालिका अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप,एसडीएम से की शिकायत

मेडिकल व्यापारी ने लगाया नगर पालिका अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप,एसडीएम से की शिकायत

हापुड़

हापुड़। नगर के एक मेडिकल व्यापारी ने नगर पालिका अधिकारियों पर मकान नाम करनें को लेकर अनेक बार चक्कर काटते रहे, परन्तु कर्मचारियों ने उनकी एक नहीं सुनी और ना ही उनके नाम मकान में दर्ज किया।‌जिसकी शिकायत डीएम से की गई है।

जानकारी के अनुसार हापुड़ के मोहल्ला न्यू शिवपुरी निवासी अतुल कुमार नें डीएम से से शिकायत करते हुए बताया कि
उन्होंने एक भी मकान 13 अगस्त 2020 को उन्होंने अपने व अपनी पत्नी काजल मित्तल के नाम से खरीदा था जिस पर मे काबिज हूँ।उसके बाद आधार कार्ड,बिजली बिल,वोटर कार्ड,और नगर पालिका H-N-28-(2-1/1690/938)में भी अपना व अपनी पत्नी का नाम दर्ज करा लिया।कुछ महीनों बाद मुझे पता चला कि विक्रेता ने मकान पर लगभग 16 लाख रुपये लोन बकाया होने के बावजूद भी मुझे मकान बेच दिया।जिसके विषय में मेने एसपी को शिकायत पत्र दिया जिस पर महोदय के आदेश अनुसार मुoअoसo-0557/22 लिखा गया और जांच के बाद आरोप पत्र माननीय न्यायालय में दाखिल किया गया इसी दौरान मुझे जुलाई 2022 को नगर पालिका द्वारा 86240/ रुपये की रसीद विक्रेता के नाम की प्राप्त हुई जिसके बाद मुझे नगर पालिका जाकर पता चला कि विक्रेता ने एक मकान में नगर पालिका द्वारा दो नंबर ले रखे थे।जिसे विक्रेता ने टैक्स बाकी होने की वजह से जमा नहीं किया जो कि मैने चेक द्वारा बकाया राशि 17.03.2023 को जमा कर दिया और साथ ही नाम परिवर्तन के सभी पेपर 2.03.2023 को जमा कर दिये।उसके बाद नगर पालिका प्रशासन ने विक्रेता के साथ सांठ गांठ कर 3.06.2023 को आपत्ती दाखिल करवा दी जoसूoअo पत्रांक 196/23 की सूचना के अनुसार आपत्ति कर्ता ने आपत्ति पत्र दिया है उसके साथ आपत्ति दर्ज करने का साक्ष्य पेश नहीं किया है।उसके बाद सुनवाई के लिए कुल 4 तारीख तय की गई।05.09.2023 को एक पत्र दोनों पक्षों के लिए जारी किया गया जिसमें दोनो पक्षों को माo न्यायालय में वाद विवाद होने के लिए लिखा था।जिसमें साक्ष्य देने की अंतिम तारीख 11.09.2023 थी लेकिन नगर पालिका ने दिनाँक रहित आपत्ति पत्र विपक्षी से 12.09.2023 को स्वीकार करते हुए मेरी याचिका FIR 557/22 का हवाला देकर खारिज कर दी। जिसका कारण माo हाई कोर्ट के रिट-सी नम्बर-50033 उत्तर प्रदेश राज्य बनाम जितेंद्र बहादुर सिंह के आदेश को लेकर याचिका खारिज कर दी।जो कि अचल संपत्ति पर कब्जे के विवाद के बारे मे है।जबकि मेरा द्वारा विक्रेता पर की गई FIR धारा 420.323.504.506 जो कि रंगदारी और मारपीट की थी। कोई कार्यवाही नहीं की गई और ना ही हमारा नाम कागजातों में चढ़ाया था।

उन्होंने एसडीएम सुनीता सिंह से मिलकर न्याय की गुहार लगाई हैं।

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