30 की उम्र के बाद रहना चाहती हैं हेल्दी, तो रूटीन में शामिल करें ये 5 योगासन
30 की उम्र के बाद रहना चाहती हैं हेल्दी, तो रूटीन में शामिल करें ये 5 योगासन
लाइफस्टाइल
आज की जीवनशैली की जरूरत है। यह कई रोगों का इलाज है। यह शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है, ताकत बढ़ाता है, हड्डी और मांसपेशियों को मजबूत करता है, शरीर को लचीला बनाता है, शरीर से सभी प्रकार के टॉक्सिन को निकालता है और दिमाग को शांत करता है। 30 साल के ऊपर की महिलाओं को योग करना अति उत्तम होता है। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां और मांसपेशियां महिलाओं में प्रभावित होती हैं।
इस उम्र के बाद महिलाओं में लचीलापन कम होता है, वजन बढ़ सकता है, दिमाग अशांत रहता है और अगर ध्यान न दिया जाए तो यह कमजोरी की तरफ खींच कर ले जाती हैं और कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देती हैं। ऐसे में योग एक बड़ा औजार साबित हो सकता है, लेकिन कौन सा योग इस उम्र के बाद फायदेमंद है, इसका ज्ञान सभी को नहीं होता है। तो आइए जानते हैं कि 30 साल के बाद ऐसे कौन से 5 योगासन हैं, जिसे हर महिला को करना चाहिए –
वीरभद्रासन (वॉरियर पोज)
यह आसन वीर योद्धा वीरभद्र के नाम पर आधारित है। इस आसन से आपके जांघ और कंधे मजबूत होते हैं। इससे पेट अंदर हो कर टोन होता है। आमतौर पर यह शरीर के ऊपरी हिस्से के लिए लाभकारी है।
त्रिकोणासन (ट्राइएंगल पोज)
त्रिकोणासन यानी तीन कोण वाला आसन। इस दौरान शरीर की मांसपेशियां तीन अलग कोण में स्ट्रेच होती हैं, इसलिए इसे त्रिकोणासन कहते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और पेट और कमर की चर्बी घटाता है। यह बॉडी फैट को कम कर के मांसपेशियां मजबूत करता है। पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है, जिससे शरीर और दिमाग के संतुलन सुधार होता है।
अधोमुखश्वानासन (डाउनवार्ड डॉग पोज)
इस आसन में शरीर उल्टे V पोज में आ जाता है। यह पूरे शरीर को टोन करता है। ब्लड सर्कुलेशन बढ़ा कर शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है,एकाग्रता बढ़ाता है और शरीर के संतुलन में सुधार लाता है। यह 30 साल के बाद होने वाले पीठ दर्द और सूजन कम करने में असरदार है।
सेतुबंधासन (ब्रिज पोज)
यह मांसपेशियों को टोन करता है, पाचन तंत्र मजबूत करता है और थाइरॉयड लेवल में सुधार लाता है। यह कई हार्मोन को नियंत्रित करता है। यह छाती, गर्दन और रीढ़ की हड्डी मज़बूत करता है। कमर दर्द की शिकायत होने पर ये लाभकारी है।
सूर्य नमस्कार
12 योगासन के मिश्रण से सूर्य नमस्कार का सृजन होता है। यह मांसपेशियों को मजबूत करके ब्लड फ्लो बढ़ाता है और पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से राहत देता है। यह सभी प्रमुख मांसपेशियों, कमर और हाथों को टोन करता है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ाता है। यह थाइरॉयड ग्रंथि की क्रिया संतुलित करता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है, दिमाग शांत करता है। वजन कम करने में और रोगमुक्त करने में सहायक है।