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सरस्वती मेडिकल कालेज मेंटीबी प्रिवेंटिव थेरेपी और राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम पर हुई सीएमई

  • क्षय रोगी के परिवार में पांच साल तक के सभी बच्चों को दी जा रही प्रिवेंटिव थेरेपी : डीटीओ
  • सभी परिजनों की टीबी जांच जरूरी, पुष्टि होने पर तत्काल उपचार

हापुड़, । सरस्वती मेडिकल कालेज में शुक्रवार को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी और राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम पर सतत मेडिकल शिक्षा (सीएमई) हुई। सीएमई को जिला क्षय रोग अधिकारी ( डीटीओ) डॉ. राजेश सिंह और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाहकार डॉ. रेणु डाफे ने संबोधित किया। सीएमई में जांच के लिए आने वाले सभी व्यक्तियों के नामांकन और जांच में पुष्टि होने पर शत प्रतिशत रोगियों के नोटिफिकेशन पर ज़ोर दिया गया। इस मौके पर कालेज के प्रिसिंपल डॉ. रमेश वर्धन, वाईस प्रिसिंपल डॉ. सौरभ गोयल और टीबी – चेस्ट विभाग के प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ कुमार ने भी अपनी बात रखी। सीएमई के दौरान राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से मेडिकल ऑफिसर डॉ. राहुल सचान और जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी मौजूद रहे।
डीटीओ डॉ. राजेश सिंह ने मेडिकल कॉलेज के सभागार में फैकल्टी और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा- 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। क्षय रोगियों के परिवार में पांच साल तक के सभी बच्चों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी दी जा रही है, शासन अब परिवार के सभी सदस्यों को यह थेरेपी शुरू करने की तैयारी में जुटा है। क्षय रोगियों के सभी परिजनों की आवश्यक रूप से टीबी जांच के आदेश हैं। सबसे पहले बलगम जांच की जाती है, उसके निगेटिव आने पर एक्स रे और फिर रक्त जांच कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि परिवार के किसी सदस्य को टीबी का संक्रमण तो नहीं हुआ है। संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी दी जाती है और पुष्टि होने पर क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उपचार शुरू कर दिया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाहकार डॉ. रेणु डाफे ने सीएमई को संबोधित करते हुए कहा- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक दुनिया से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है लेकिन भारत सरकार ने देश में 2025 तक यह लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया है। जांच बढ़ाकर और प्रिवेंटिव थेरेपी के साथ ही कुछ सावधानियों के साथ ही भारत य़ह लक्ष्य हासिल कर सकता है, इसके जन जागरुकता और जन सहयोग जरूरी है।

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