fbpx
ATMS College of Education Menmoms Global Inc
Astrology

कुंडली में सबसे खतरनाक होती है शनि की तीसरी दृष्टि, जानें इस ग्रह से बनने वाला शुभ योग या राजयोग और प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों की दृष्टि की बहुत महत्वपूर्ण होती है। हर ग्रह कुंडली में अपने से सातवें घर में मौजूद ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देखता है। यानी कोई भी ग्रह किसी भी भाव में बैठा हो, लेकिन वह अपने से सातवें भाव के ग्रह पर पूरा प्रभाव दिखाता है। शनि ग्रह सातवें भाव के अलावा तीसरे और दसवें भाव को भी देखते हैं। यानी इस ग्रह की तीन दृष्टि होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि की तीसरी दृष्टि को सबसे खतरनाक माना गया है। कहते हैं कि शनि की तीसरी दृष्टि जिस भी घर पर होती है, उस जातक को संघर्षों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

तुला राशि में मार्गी होंगे बुध तो शुक्र करेंगे तुला राशि में गोचर, नवंबर 2020 में इन ग्रहों की बदल रही चाल

शनि की तीसरी दृष्टि के प्रभाव-

1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में शनि पहले भाव में बैठा हो तो उसकी दृष्टि तीसरे, सातवें और दसवें घर में होती है। सातवां घर वैवाहिक जीवन और दसवां घर आजीविका का होता है। ऐसे में व्यक्ति को शुभ फल पाने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
2. कहते हैं कि अगर शनि की तीसरी दृष्टि दूसरे भाव में पड़ रही है तो जातक को धन प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
3. अगर शनि की तीसरी दृष्टि जिस भाव में पड़ रही है और उस भाव का स्वामी कुंडली में उच्च का है तो जातक को राहत भी दे सकते हैं। ऐसे में जातक को मेहनत के अनुसार ही परिणाम की प्राप्ति होती है।

दिवाली बाद गुरु कर रहे राशि परिवर्तन, जानिए मकर राशि में गोचर से जातकों पर क्या पड़ेगा प्रभाव

शनि से बनने वाले शुभ योग या राजयोग और उनका प्रभाव?

1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर शनि कुंडली के तीसरे, छठवें या ग्यारहवें भाव में हो तो व्यक्ति को पराक्रमी बनाता है।
2.  शनि अगर बृहस्पति की राशि में हो तो व्यक्ति कीर्ति और यश प्राप्त करता है।
3. शनि बृहस्पति और शुक्र के संयोग से ‘अंशावतार’ नाम का एक योग बनता है, जो व्यक्ति को दैवीय बनाता है।
4. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बिना शनि की कृपा के कोई भी बड़ा आध्यात्मिक योग प्रभावी नहीं होता है।



Source link

JMS World School Radhey Krishna Caters
Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page