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1857 के शहीदों की याद में एक माह तक लगनें वाला देश का पहला शहीद मेला का 10 मई को होगा शुभारंभ

अमित अग्रवाल

हापुड़।

10 मई 1857 में आजादी की लड़ाई में अपनी जान न्योछावर करने वाले क्रांतिकारियों की याद में एक माह तक लगनें वाला एक मात्र शहीद मेला 10 मई से हापुड़ में शुरू होगा। जिसका शुभारंभ डीएम, एसपी करेंगे। यह मेला हर साल 10 मई को शुरू होकर एक महीने तक चलता है‌।

मेले संस्थापक स्वर्गीय कैलाश चंद आजाद के बेटे आशुतोष आजाद ने बताया कि उनके पिता ने 1975 में यहां छोटा सा पौधा रोपा था, जो अब बटवृक्ष है। यह देश में लगने वाला एकमात्र शहीद मेला है। स्वाधीनता संग्राम शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष ललित ने बताया कि पूरी भव्यता के साथ शहीद मेला लगाया जाएगा। यह मेला देशवासियों को शहीदों के संघर्ष और बलिदान को याद दिलाकर प्रेरणा देता है।

आशुतोष आजाद ने बताया जाता है कि मेरठ के कालीपलटन मंदिर से 10 मई 1857 को अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई गई। इस दौरान महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, भगत सिंह, सुभाष चंद बोस समेत कई क्रांतिकारी आजादी का बिगुल फूंक रहे थे। उस समय हापुड़ क्रांतिकारियों का प्रमुख अड्डा था, यहां अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए छुपकर रणनीति बनाई जाती थी। अंग्रेजों ने विद्रोह करने के कारण हापुड़ के 26 गांवों के गुर्जरों और अन्य लोगों के पैरों में कील गाढ़कर जिंदा जला दिया था। वहीं, कुछ क्रांतिकारियों को पेड़ों से बांधकर गोली से उड़ा दिया था, जिन पेड़ों पर उन्हें फांसी दी गई, आज वही उनकी शहादत की याद दिलाते हैं। उन्हीं की याद में 1975 में स्वतंत्रता सैनानी रहे आचार्य कैलाश आजाद ने देश के पहले शहीद मेले का शुभारंभ किया था।

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