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16 चीतों का भारत में लाया जाना पर्यावरण के क्षेत्र में मील का पत्थर – भारत भूषण गर्ग

हापुड़ (अमित अग्रवाल मुन्ना)।

16 सितंबर को ऑस्ट्रेलियन देश नामीबिया से 16 चीते भारत में लाए जाने के उपलक्ष में पर्यावरण प्रेमियों के मनो में जो हर्षोल्लास है। उस खुशी को वन विभाग द्वारा विद्यालयों में बच्चों को चीते के विषय में जानकारियां उपलब्ध कराते हुए विस्तार से परिचित कराया जा रहा है। गढ़मुक्तेश्वर वन क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी करण सिंह के द्वारा चीता परिचय कार्यक्रम का आयोजन बृजघाट स्थित भागीरथी इंटर कॉलेज में आयोजित किया गया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टाइगर का आयोजन भारत भूषण गर्ग ने बताया की 1950 के दशक में भारत वर्ष से चीता लगभग समाप्त प्राय घोषित कर दिया गया था लगभग 70 वर्ष पश्चात मान्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में वन विभाग ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 16 चीतो का आयात किया है जिन्हें विशेष विमान के द्वारा मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा उन्होंने बताया की चीता विश्व के तेज दौड़ने वाली प्रजातियों में से एक है यह जहां चीता होता है वहां का वातावरण स्वयमेव ही ठीक हो जाता है 16 चीतों का भारत में लाया जाना पर्यावरण के क्षेत्र में मील का पत्थर है। उन्होंने बच्चों को तेंदुआ एवं चीते की पहचान को स्पष्ट करते हुए बताया कि दोनों के शरीर पर गोल-गोल काले धब्बे के निशान होते हैं परंतु तेंदुए का शरीर ब्राउन रंग का होता है जबकि चीते का सफेद रंग का। वन क्षेत्राधिकारी करण सिंह ने बच्चों को बताया कि आज के इस महत्वपूर्ण दिवस पर यह विचार किया जाना भी आवश्यक है की चीता भारतवर्ष से समाप्त क्यों हो गया इसका मुख्य कारण है जंगलों का नष्ट हो जाना अतः हमें जंगलों को बचाने पर ध्यान देते हुए अपने जीवन की प्रगति को आगे बढ़ाना पड़ेगा ।

इस अवसर पर गंगा सेवक मूलचंद आर्य अभिनव चौहान डिप्टी रेंजर जोग पाल सिंह अनूज जोशी गौरव कुमार सोनू कुमार कपिल कुमार आदि मौजूद थे।

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