होलिकादहन मुहूर्त 7 मार्च 2023 ,मंगलवार को प्रदोषकाल,गोधूलि बेला में
हापुड़ ,भारतीय ज्योतिष-कर्मकांड महासभा के विद्वानों व पदाधिकारियों की बैठक शनिवार शाम को श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर ,चंडी रोड पर हुई ,जिसमे होलिकादहन के संबंध में चल रहे संशय की स्थित पर शास्त्रोचित समय पर विचार मंथन हुआ, महासभा बैठक में पं० हरि शर्मा, पं० महेश शर्मा , पं० कमलेश गिलडियाल,पं० अजय शर्मा , पं०राजेन्द्र शर्मा आदि अनेक विद्वानों ने विचार दिये। सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि 7 मार्च 2023 ,मंगलवार सांयकाल होलिकादहन शास्त्रोचित होगा।
बैठक के बाद महासभा अध्यक्ष के०सी०पाण्डेय ने बताया कि इस साल बहुत कम समय के लिए होलिकादहन का शुभ समय रहेगा पूर्णिमायुक्त ,भद्रारहित प्रदोषकाल की गोधूलि बेला में सायं 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट के बीच का समय होलिकादहन का समय श्रेष्ठ रहेगा।
रंगों के पावन पर्व पर होलिका दहन को लेकर इस बार संशय की स्थिति थी जबकि रंग खेलने के दिन 8 मार्च यानी बुधवार पर विद्वानों का एकमत है। भद्रा होने के कारण होलिका दहन को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत है यद्यपि पूर्णिमा 6 मार्च को दोपहर बाद 4 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है लेकिन वह पृथ्वीलोक की अशुभ भद्रायुक्त होगी , भद्रा अगले दिन 7 मार्च को सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी ,यद्यपि विशेष परिस्थितियों में भद्रा के मुखकाल को छोड़कर अथवा भद्रा के पूंछकाल में मतलब 7 मार्च की तड़के होलिकादहन किया जा सकता है जो पंजाब,महाराष्ट्र,हिमाचल, केरल आदि प्रदेशों में मान्य होगा तथापि निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार भद्राकाल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है।
निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार ‘भद्रायां द्वे न कर्तव्य श्रावणी फाल्गुनी तथा श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी अर्थात यदि रक्षाबंधन में भद्रा हो तो राजा के लिए अशुभ कही गई है और यदि इसी प्रकार होली दहन के समय भद्रा हो तो ग्राम -घर के मुखियाओं के लिए अशुभ कही गई है। उत्तर प्रदेश ,बिहार ,आसाम, बंगाल आदि में पूरे दिन के साथ प्रदोषकाल व्यापिनी भद्रारहित पूर्णिमा है अतः 7 मार्च को ही सही रहेगा।
प्रचलित नारद पुराण की कथानुसार भक्त प्रहलाद की रक्षा व हिरण्यकश्यप के आदेशानुसार उसकी बहन होलिका जिसको वरदान स्वरूप एक चादर मिला हुआ था जिसको ओढ़ने पर वो आग में नही जल सकती थी भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई , दैवयोग से वो चादर उड़कर प्रहलाद पर आ गई जिससे आग से बच गई और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई , बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में ही होलिकादहन किया जाता है। यह वैदिक काल से मनाया जाता आ रहा है। हिन्दू मास के अनुसार होली के दिन से नए संवत की शुरुआत होती है। चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा के दिन धरती पर प्रथम मानव मनु का जन्म हुआ था। इसी दिन कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था।
होलिकापूजन का शुभ मुहूर्त-
7 मार्च 2022
सुबह 11.02 से दोपहर 1.58 तक
सायं 3.26 से 4.54 तक
होलिका पूजन के बाद व होलिकादहन के समय इस मंत्र को पढ़ते हुए होलिका की 7 बार परिक्रमा करें
इसके बाद ‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’
महासभा बैठक निर्णय में उपाध्यक्ष आदित्य भारद्वाज, लेखानिरीक्षक देवी प्रसाद तिवारी, मीडिया प्रभारी सर्वेश तिवारी, प्रेम प्रकाश मिश्रा, गौरव कौशिक, महावीर शर्मा, ब्रजेश कौशिक,
धर्मेंद्र बंसल, अनिशा सोनी पाण्डेय, हरि कृष्ण,अजय त्रिपाठी, विधिक सलाहकार सचिन शर्मा, लवकुश पाण्डेय आदि शामिल रहे।
पं०वासुदेव शर्मा , पं० आशुतोष शुक्ला,पं० ऋषिदेव कौशिक व पंडित संतोष तिवारी जी ने अपना विचार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से व्यक्त किया।
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