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हापुड़ में आयोजित हुआ शाम –ए–सुखन” का आयोजन,कवि प्रेम निर्मल व डॉ.अशोक मैत्रेय हुए सम्मानित


हापुड़(अमित अग्रवाल मुन्ना)। काव्यदीप संस्था के अंतर्गत वर्ष के अंतिम माह में “शाम –ए–सुखन” का भव्य आयोजन किया गया।
. अयोजन में लगभग 30 कवियों ने अपने गीत, गजल, कविताओं से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और उनकी जमकर तालियां बटोरीं।

कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि प्रेम निर्मल और डॉ. अशोक मैत्रेय को उनकी विशिष्ठ साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।

महफिल का आगाज़ शहवार नावेद ने अपनी पंक्तियों से किया कि मंजिल पर जा के साथ मेरा छोड़ रहा है, वादे किए थे जो उन्हें खुद तोड़ रहा है।
इस काव्य समागम को अद्भुत उत्सव का रुप देने वाली युवा कवियत्री और कार्यक्रम संयोजिका मनीषा गुप्ता ने जब पढ़ा कि कोई शहर में हल्ला होना है, कल खबर मिली अखबारों में, एक चांद जमीं पे उतरना है,कल खबर मिली अखबारों में, तो पूरी महफिल तालियों से गूंज उठी।
कार्यक्रम के संचालक महेश वर्मा ने अपनी शेरो शायरी से सभी को मंत्र मुग्ध करते हुए पढ़ा कि उजालों ने करी साज़िश, मुझे फैंका अंधेरों में, मगर मैं तीरगी से भी सितारे साथ ले आया।

पूनम अग्रवाल ने पढ़ा कि ब्रह्मपुत्र नदी कोई नदी नहीं है, ये आत्मा है पूर्व के देश की, ये आत्मा है भूपेन हजारिका की, पूजा महेश ने कहा कि सोच-सोच पीले पड़े बेटी के मां बाप, कैसे हम पीले करें दो बेटियों के हाथ। मुशर्रफ चौधरी ने पढ़ा मासूम फरिश्तों से सवालों में मिलूंगी, अल्लहड़ हूं पाकीजा ख्यालों में मिलूंगी। एमएल तेजियान ने पढ़ा कि दीये पर रखना तू नजर, घर में वो आग लगा न दे।

इस दौरान महावीर वर्मा मधुर, इंदु मित्तल, ऊषा मित्तल, कवि प्रेम निर्मल, कमलेश त्रिवेदी फर्रुखाबादी, राम आसरे गोयल, अवनीत समर्थ, विकास त्यागी, प्रदीप कुमार, फ़राज़ चौधरी, आशुतोष आज़ाद, पूनम ग्रोवर, उमेश शर्मा आदि ने भी अपना काव्य पाठ करके महफिल को रोशन किया। संयोजिका मनीषा गुप्ता ने सभी कवियों को प्रतीक उपहार देकर सम्मानित भी किया।

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